सिलवानी। सरकार गांवों को स्वच्छ बनाने करोड़ों खर्च कर रही, लेकिन ज़मीन पर तस्वीर उलट है। सिलवानी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम मुआर में हालात इतने खराब हैं कि लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। नालियां नहीं हैं,कचरे का अंबार है और सड़कें कीचड़ में डूबी हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे गिरकर चोटिल हो चुके हैं, वहीं ग्रामीण खुद सफाई कर रहे हैं क्योंकि पंचायत का अमला बेखबर है। तहसील मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर मुआर गांव की आबादी लगभग 3 हजार है। यहां के निवासी वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। मुख्य मार्गों से लेकर तंग गलियों तक की सड़कें कच्ची हैं, जो अब दलदल में तब्दील हो चुकी हैं। सरकारी फाइलों में मुआर गांव शायद ‘विकसित’ हो चुका हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे एकदम अलग है। यहां के बाशिंदे आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
पक्की सड़कों का इंतजार:
गांव में कुछ साल पहले जो सड़कें बनी थीं, वे अब पूरी तरह टूट चुकी हैं। गड्ढों और कीचड़ से भरी इन सड़कों से गुजरना मुश्किल हो गया है। बरसात में हालात और बिगड़ जाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक गिरते-पड़ते रास्ता तय करते हैं।
नालियों के अभाव में फैल रहा गंदा पानी, मच्छरों का प्रकोप
गांव में कहीं भी पानी निकासी की व्यवस्था नहीं है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़कों पर फैल रहा है, जिससे कीचड़ और बदबू बनी रहती है। मच्छरों की भरमार से बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
स्कूल जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा परेशान
गांव की गंदगी और कीचड़ से सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूली बच्चों को हो रही है। कई बार बच्चे दलदल में गिर चुके हैं और चोटिल भी हुए हैं।
कचरा खुले में, बदबू से ग्रामीण बेहाल
गांव में कचरा एकत्र करने की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग मजबूरी में घर का कचरा खुले में या सड़क किनारे फेंक रहे हैं। इससे उठती बदबू से आसपास के लोग परेशान हैं।
धार्मिक स्थलों के आसपास भी गंदगी
गांव के मंदिरों के आसपास भी सफाई नहीं होती। कीचड़ और बदबू के बीच श्रद्धालुओं को मंदिर जाना पड़ता है। कई बार उनके कपड़े तक गंदगी में सने मिलते हैं।
ग्रामीण बोले :- खुद ही कर रहे सफाई, पंचायत गायब
गांव के समाजसेवियों ने बताया कि पंचायत की तरफ से नियमित सफाई नहीं होती। मच्छरों और गंदगी से हालात बदतर हो चुके हैं। लोग अब खुद ही झाड़ू उठाकर सफाई करने को मजबूर हैं।