सिलवानी। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर नगर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन विश्वकर्मा गार्डन में किया गया। जहां कि बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहें। इस मौके पर आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत, परंपराएं और योगदान को सम्मानित करने के लिए एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों, जनप्रतिनिधियों ने लिया। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक आदिवासी नृत्य और गीतों से हुई, जिसमें युवाओं और महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके पश्चात एक जागरूकता रैली निकाली गई, जो शहर के प्रमुख मार्गों से होकर गुज़री। रैली का उद्देश्य समाज में आदिवासी अधिकारों,संस्कृति और उनकी समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना था।
वक्ताओं ने अपने में कहा कि आदिवासी समाज की संस्कृति अत्यंत समृद्ध है और उसे संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। वक्ताओं ने आदिवासी समाज की गरिमा, उनके ऐतिहासिक योगदान और वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डाला। साथ ही समाज में समावेशिता और समानता की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। इसके अतिरिक्त वक्ताओं ने समाज की विरासत,सांस्कृतिक से जुड़ी अनेक बातो का उल्लेख किया। यहां पर स्वागत भाषण,मुख्य अतिथियों एवं आमंत्रित लोगों का स्वागत व कार्यक्रम के उद्देश्य पर संक्षिप्त प्रकाश डाला।
विश्व आदिवासी दिवस पर रैली का आयोजन
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर एक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का उद्देश्य आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर, अधिकारों और उनके योगदान के प्रति लोगों को जागरूक करना था। रैली में डीजे पर बज रहे आदिवासी संस्कृति के गीतो पर युंवा नांचते गाते थिरकते हुए चल रहे थे। रैली की शुरुआत विश्वकर्मा गार्डन से की गई जो कि नगर के प्रमुख मार्गो से गुजरती हुई तहसील चौराहा पर पहुंची। रैली का स्वागत सामाजिक संगठन विश्व हिंदु परिषद, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पुष्प अर्पित कर किया। इसके अतिरिक्त नगर परिषद के द्वारा भी कार्यालय के सामने बनाए गए मंच से रैली का स्वागत कर शामिल लोगो के बीच पेयजल का वितरण किया। यहां पर युवा भाजपा नेता दुर्गेश प्रताप सिंह राजपूत,विजय शुक्ला आदि मौजूद रहें। रैली में बच्चों, युवाओं, महिलाओं, समाजसेवियों तथा ग्रामीणों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने पारंपरिक वेशभूषा पहनकर आदिवासी संस्कृति को प्रस्तुत किया। हाथों में रंग- बिरंगे पोस्टर, बैनर और तख्तियाँ थीं , जिन पर आदिवासी अधिकारों , शिक्षा और संस्कृति को लेकर संदेश लिखे गए थे। संदेशो में आदिवासी संस्कृति, हमारी पहचान। जल, जंगल, जमीन पर हक़ हमारा। हमारा अस्तित्व, हमारी संस्कृति जैसे स्लोगन लिखे गए थें।