गंजबासौदा। वेदांत आश्रम में श्रावण मास के तहत एक माह से चल रहे धार्मिक अनुष्ठान का समापन अग्निहोत्र के साथ हुआ। श्रावणी उपाकर्म और दस विधि स्नान के बीच हुए इस आयोजन में भक्ति, सेवा, सामाजिक समरसता और धार्मिक एकता का संदेश मिला। पूर्णाहुति के बाद भंडारे में श्रद्धालुओं ने खीर, पूड़ी, सब्जी और मालपुआ की प्रसादी ग्रहण की। आश्रम के संत हरिहर दास महाराज ने कहा, जब रुद्री पाठ की वैदिक ध्वनि और शिव भक्ति की साधना एक साथ होती है, तो वह आयोजन नहीं, संस्कारों की पाठशाला बन जाता है। आयोजन में वेदांत आश्रम ट्रस्ट परिवार के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु और गणमान्य जन शामिल हुए। शनिवार को रक्षाबंधन के अवसर पर आश्रम में श्रावणी उत्सव होगा। जीवाजीपुर स्थित संत जगन्नाथदास संस्कृत विद्यालय वेदांत आश्रम में सावन मास के दौरान प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग निर्माण और भगवान महादेव का पूजन किया गया। यजमान शंकरदयाल शर्मा और नरेश साहू ने शिव पूजन और अभिषेक के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अग्निहोत्र में आहुतियां अर्पित कीं। वैदिक आचार्य पं. शिव शंकर पांडे ने रुद्रपाठ का संचालन कर अग्निहोत्र संपन्न कराया।
पार्थिव शिवलिंग निर्माण मिट्टी से परमात्मा की खोज है
गायत्री, रुद्र, महामृत्युंजय, त्र्यंबक, शिवोपासना और रुद्रचमक मंत्रों के साथ लघुरुद्र पाठ, श्रीसूक्त पाठ और रुद्राष्टक का उच्च स्वर में पाठ हुआ। आहुतियां अग्नि को समर्पित की गईं। संत हरिहर दास महाराज ने कहा, पार्थिव शिवलिंग निर्माण मिट्टी से परमात्मा की खोज है। जब हम अपने भीतर के अहंकार
को गला देते हैं, तब शिव हमारे भीतर जन्म लेते हैं। इस आयोजन की खास बात रही कि आश्रम के विद्यार्थियों ने गाय के गोबर, गंगाजल, तुलसी, पंचगव्य और औषधियों से मिट्टी तैयार कर प्राचीन विधियों से पवित्र शिवलिंग बनाए। हर दिन अलग स्वरूप में शिव के दर्शन हुए। कभी पंचमुखी, कभी अर्धनारीश्वर, कभी नटराज, तो कभी गंगाधर रूप में शिव प्रकट हुए। विद्यार्थियों का यह निर्माण केवल कला नहीं, भक्ति, अनुशासन और ध्यान का अभ्यास था।