आईजीएनसीए संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि भगवान बुद्ध के संदेश को दर्शाने वाला 24 पंखुड़ियों वाला नीला कमल सततता की अवधारणा का पालन करता है, क्योंकि यह एक ऐसे फाइबर से बना है, जो जैव-अपघटनीय है।
By: Prafull tiwari
Jun 07, 2025just now
नयी दिल्ली। जापान के ओसाका में आयोजित किये जा रहे 'वर्ल्ड एक्सपो' में भारत मंडप देश की समृद्ध विरासत को प्रस्तुत कर रहा है और इसका डिजाइन प्राचीन अंजता की गुफाओं के बोधिसत्व पद्मपाणि की छवि से प्रेरित है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यहां बताया कि जापान में आयोजित किये जा रहे इस भव्य मेले में नीले कमल के अग्रभाग वाला भारत मंडप फिलहाल 'सबसे अधिक देखे जाने वाले शीर्ष पांच मंडपों' में शामिल है।
बाद में आईजीएनसीए ने एक बयान में कहा कि शीर्ष पांच देशों की सूची में चार अन्य देश जिनके मंडपों में भारी भीड़ उमड़ रही है, वे हैं, अमेरिका, इटली, जापान और फ्रांस। अधिकारियों ने कहा कि भारत मंडप देश की प्राचीन ज्ञान परंपरा, आधुनिक आकांक्षाओं और वैश्विक साझेदारी का जीवंत प्रमाण है। उन्होंने कहा कि रणनीतिक रूप से ‘कनेक्टिंग लाइव्स जोन’ में स्थित, यह मंडप भारत की सभ्यतागत गहराई के साथ-साथ इसकी तकनीकी उन्नति और चिरस्थायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
आईजीएनसीए संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि भगवान बुद्ध के संदेश को दर्शाने वाला 24 पंखुड़ियों वाला नीला कमल सततता की अवधारणा का पालन करता है, क्योंकि यह एक ऐसे फाइबर से बना है, जो जैव-अपघटनीय है। यह छवि महाराष्ट्र की प्राचीन अजंता गुफाओं में स्थित एक भित्ति चित्र से ली गई है, जिसमें बोधिसत्व पद्मपाणि को उनके दाहिने हाथ में कमल पकड़े हुए दर्शाया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि भारत मंडप में नवाचार (इनोवेशन), विरासत, आयुर्वेद, इसरो और सतत विकास को सर्मिपत विभिन्न वर्ग शामिल हैं, जो भारत की भूमिगत संपदाओं से लेकर अंतरिक्ष तक की यात्रा का बखूबी चित्रण करते हैं। यह मंडप अतीत का सम्मान करते हुए भविष्य की संभावनाओं को भी दर्शाता है। उन्होंने बताया कि मंडप के निर्माण पर लगभग 225 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जो सहायक संचालन खर्चों को छोड़कर है।
जोशी ने बताया कि मंडप के अंदर एक विशाल 'बोधि वृक्ष' स्थापित किया गया है, इसके अलावा भारतीय वस्त्र विरासत, टेराकोटा कलाकृतियों और तांबे की एक गैलरी के खंड भी हैं। मंडप के अंदर अन्य क्षेत्रों में द्विपक्षीय कूटनीतिक वार्ताओं के लिए स्थान, भारत बाजार, देश के 'स्ट्रीट फूड' को प्रर्दिशत करने वाला भारतीय खान-पान क्षेत्र, और एक कॉर्पोरेट हब शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि नीले कमल की विशाल पंखुड़ियां बेंगलुरु में निर्मित की गईं और अन्य कलाकृतियों तथा सामग्री के साथ इन्हें चेन्नई से हांगकांग होते हुए हवाई मार्ग से जापान पहुंचाया गया।
यह पहल वाणिज्य मंत्रालय के नेतृत्व में, संस्कृति मंत्रालय के मार्गदर्शन में चल रही है, और इसे भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) तथा आईजीएनसीए के संस्थागत सहयोग से साकार किया जा रहा है। ओसाका वर्ल्ड एक्सपो 2025, जिसे आधिकारिक रूप से ‘एक्सपो 2025 ओसाका, कंसाई, जापान’ नाम दिया गया है, एक वैश्विक प्रदर्शनी है। जापान के ओसाका शहर में 13 अप्रैल से शुरू हुआ यह एक्सपो 13 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इस आयोजन में 160 से अधिक देश और 9 अंतरराष्ट्रीय संगठन भाग ले रहे हैं।