प्रकृति का रौद्र रूप थमने का नाम नहीं ले रहा है। चारों तरफ त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है। बाढ़ बारिश से देश के हर कोने में तबाही का मंजर है। उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र... हर तरफ सैलाब है। बादल फटने, भूस्खलन और नदियों में उफान के कारण आई आपदा से कई लोगों की मौत हो गई है।
By: Arvind Mishra
Aug 31, 202512:35 PM
भोपाल/ नई दिल्ली। स्टार समचार वेब
प्रकृति का रौद्र रूप थमने का नाम नहीं ले रहा है। चारों तरफ त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है। बाढ़ बारिश से देश के हर कोने में तबाही का मंजर है। उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र... हर तरफ सैलाब है। बादल फटने, भूस्खलन और नदियों में उफान के कारण आई आपदा से कई लोगों की मौत हो गई है, कई लोग लापता हैं और हजारों लोग विस्थापन को मजबूर हो गए हैं। सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं। इधर, मध्यप्रदेश में भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। लोग जान जोखिम में डालकर उफनती नदियां पार कर रहे हैं। उज्जैन में कार सवार पुलिया से बह गए। कार झाड़ियों में फंस गई। वहां मौजूद लोगों ने कार सवारों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। नर्मदापुरम में तवा डैम के तीन गेट आज भी खुले हुए हैं। रायसेन में भारी बारिश के बाद राहतगढ़ वाटरफॉल 80 फीट ऊंचाई से गिर रहा है। ग्वालियर-गुना समेत मध्यप्रदेश के 23 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, चंबल और सागर संभाग में भी तेज बारिश हो सकती है।
पंजाब में भारी बारिश और हिमाचल व जम्मू-कश्मीर से आए पानी के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में उफान आ गया है। पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। गुरदासपुर की स्थिति सबसे गंभीर है। एनडीआरएफ, सेना, बीएसएफ के संयुक्त प्रयासों से अब तक 11,330 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। चंबा, कुल्लू, शिमला और भरमौर जैसे इलाकों में सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, और यात्री फंसे हुए हैं। चंबा के तिस्सा सड़क मार्ग पर विशाल चट्टानें गिरने से यातायात ठप है। शिमला के बसंतपुर में भूस्खलन ने सड़कों को मलबे से भर दिया है, जबकि कुल्लू के बागन गांव में 35 घरों की नींव हिल गई है और 10 मकान पूरी तरह ढह गए हैं। सेब की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में भी स्थिति भयावह है। रामबन के पास एनएच-44 पर भारी भूस्खलन ने बिछलारी नदी का प्रवाह रोक दिया, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। उधमपुर में अचानक आई बाढ़ ने जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को बंद कर दिया। गुरेज और रियासी में बादल फटने से मलबे का अंबार लग गया और कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए। सेना की टाइगर डिवीजन ने तवी पुल को मात्र 12 घंटे में 110 फीट लंबे बेली ब्रिज के निर्माण से बहाल किया, जिससे यातायात फिर से शुरू हो सका। अब तक 30 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
उत्तराखंड में मानसून ने कहर बरपाया है। रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और टिहरी जिलों में बादल फटने से कई लोग लापता हैं और कई की मौत हो चुकी है। 65 घर भूस्खलन की चपेट में हैं। पिथौरागढ़ के धारचूला में भूस्खलन ने दारमा घाटी की सड़क को अवरुद्ध कर दिया। चमोली में जोशीमठ-मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग 48 घंटों से बंद है। स्थानीय लोग बीमार लोगों को पीठ पर लादकर टूटी सड़कों से पार करा रहे हैं। नंदा नगर घाट में जमीन फटने से खेतों और मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं और 26 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश का असर अब मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है। दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। ओखला बैराज के गेट खोल दिए गए हैं, जिसके बाद कालिंदी कुंज घाट पर यमुना का तेज बहाव नजर आ रहा है।
महाराष्ट्र बीड का मिनी महाबलेश्वर के नाम से मशहूर सौताड़ा में विंचरणा नदी पर स्थित झरना इस वक्त पूरे उफान पर है। पिछले पंद्रह दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण रामेश्वर की गहरी घाटी में गिरने वाले इस झरने ने रौद्र रूप धारण कर लिया है।