राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में शिक्षा अधिकारी ने 25 दिसंबर को क्रिसमस-डे के अवसर पर बच्चों को सांता क्लॉज बनाने के संदर्भ में आदेश जारी किया है। यह आदेश सरकारी और निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों पर लागू होगा। आदेश में कहा गया है कि जिला हिंदू और सिख बहुल्य क्षेत्र है और बच्चों पर किसी भी तरह की परंपरा थोपना उचित नहीं है।
By: Arvind Mishra
Dec 24, 202510:46 AM
राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में शिक्षा अधिकारी ने 25 दिसंबर को क्रिसमस-डे के अवसर पर बच्चों को सांता क्लॉज बनाने के संदर्भ में आदेश जारी किया है। यह आदेश सरकारी और निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों पर लागू होगा। आदेश में कहा गया है कि जिला हिंदू और सिख बहुल्य क्षेत्र है और बच्चों पर किसी भी तरह की परंपरा थोपना उचित नहीं है। भारत तिब्बत सहयोग मंच के जिला अध्यक्ष सुखजीत सिंह अटवाल द्वारा दी गई शिकायत का हवाला देते हुए यह फैसला लिया गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि यह आदेश संवेदनाओं का सम्मान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किया गया है। साथ ही उनका यह भी कहना है कि बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव न डाला जाए।
आदेश की मुख्य बातें
सभी निजी और सरकारी विद्यालयों में बच्चों को सांता क्लॉज बनाने के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा। अगर किसी भी विद्यालय में इस प्रकार का दबाव डाला जाता है, तो विभाग नियमानुसार कार्यवाही करेगा। वहीं, अभिभावक या संगठन द्वारा शिकायत मिलने पर संबंधित संस्था खुद उत्तरदायी होगी। आदेश शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है और स्थानीय समुदाय इसे संवेदनशील और समुचित कदम मान रहा है।
अनावश्यक दबाव को रोकना जरूरी
शिकायत में यह उल्लेख किया गया है कि श्रीगंगानगर जिला मुख्य रूप से सनातन हिन्दू और सिख बाहुल्य क्षेत्र है और यहां ईसाई परिवार नगण्य हैं। इसके बावजूद पिछले वर्षों से विद्यालयों में क्रिसमस-डे पर बच्चों को सांता क्लॉज बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस तरह का कार्यक्रम बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाता है और इसे रोकना आवश्यक है। आदेश ने सामाजिक परंपराओं का सम्मान करने और सांस्कृतिक असहमति को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को निर्देशित किया है।
सामाजिक हितों की सुरक्षा प्राथमिकता
श्रीगंगानगर में शिक्षा विभाग का यह आदेश स्पष्ट संदेश देता है कि सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का सम्मान करना जरूरी है। बच्चों को किसी परंपरा के लिए दबाव में नहीं लाया जाएगा और विद्यालयों को अपने कार्यक्रमों में इस दिशा में सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। इस निर्णय के माध्यम से शिक्षा विभाग ने बच्चों के मानसिक और सामाजिक हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। भविष्य में किसी भी विवाद से बचने के लिए स्कूलों को नियमों के पालन के लिए उत्तरदायी ठहराया है।