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राजनाथ बोले... भारत आक्रामक नहीं... लेकिन आत्मरक्षा के लिए हमेशा तैयार

महू, मध्यप्रदेश स्थित आर्मी वार कॉलेज में आयोजित "रण संवाद 2025" के दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने कभी किसी युद्ध की शुरुआत नहीं की, लेकिन यदि कोई चुनौती देता है तो हम मजबूती से जवाब देंगे।

By: Arvind Mishra

Aug 27, 202511:35 AM

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राजनाथ बोले... भारत आक्रामक नहीं... लेकिन आत्मरक्षा के लिए हमेशा तैयार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संबोधित किया।

  • महू में दूसरे दिन रण संवाद-2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ ने किया संबोधित
  • महाभारत... युद्ध को रोकने के लिए भगवान कृष्ण शांति दूत के रूप में गए
  • अगर कोई हमें चुनौती देता है, तो जरूरी हो जाता हम मजबूती से जवाब दें 
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग से मजबूत होगी सैन्य क्षमता  

    महू। स्टार समाचार वेब

मध्यप्रदेश के महू स्थित आर्मी वार कॉलेज में युद्ध, युद्धकला और युद्ध संचालन पर दो दिवसीय विशिष्ट त्रि-सेवा सेमिनार, रण संवाद-2025 का बुधवार को दूसरा दिन था। जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संबोधित किया। समारोह में तीनों सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ प्रसिद्ध रक्षा विशेषज्ञों, रक्षा उद्योग के प्रमुखों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पेशेवर शामिल हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत कभी भी युद्ध को आमंत्रित करने वाला देश नहीं रहा। हमने कभी भी किसी के खिलाफ आक्रामकता शुरू नहीं की है। अभी के समय में जियो पॉलिटिक्स वास्तविकता काफी अलग है। भले ही हमारे मन में कोई आक्रामक इरादा नहीं है, अगर कोई हमें चुनौती देता है, तो यह जरूरी हो जाता है कि हम मजबूती से जवाब दें। ऐसा करने के लिए, हमें अपनी रक्षा तैयारियों को लगातार बढ़ाना होगा। यही कारण है कि प्रशिक्षण, तकनीकी प्रगति और भागीदारों के साथ निरंतर संवाद हमारे लिए बहुत जरूरी है।

संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा 

रक्षा मंत्री ने कहा कि रण-संवाद का ऐतिहासिक आधार है, यह मुझे हमारे इतिहास की कई घटनाओं की याद दिलाता है, जो दर्शाती हैं कि सभ्यतागत युद्धों में रण और संवाद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारी संस्कृति में, संवाद युद्ध से अलग नहीं है। यह युद्ध से पहले होता है, युद्ध के दौरान होता है, और युद्ध के बाद भी जारी रहता है। ‘रण संवाद’ नाम ही गहन विचार का विषय है। ‘रण’ युद्ध का प्रतीक है जबकि ‘संवाद’ चर्चा और मेल मिलाप का। पहली नजर में दोनों विरोधाभासी लगते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति में ये दोनों साथ साथ चलते हैं। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्ध रोकने के लिए स्वयं श्रीकृष्ण शांति संदेश लेकर गए थे, ताकि संवाद से युद्ध टल सके। भारतीय परंपरा में युद्ध और संवाद अलग अलग नहीं हैं। संवाद युद्ध से पहले भी होता है, युद्ध के दौरान भी और युद्ध के बाद भी जारी रहता है। यही ‘रण संवाद’ का सबसे प्रासंगिक संदेश है, जो आज के समय में भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

कई नीतिगत सुधार किए गए

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हाल के वर्षों में कई नीतिगत सुधार किए गए हैं। स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अब केवल सपना नहीं, बल्कि साकार होती हकीकत है।

भारत की बदलती वैश्विक पहचान का प्रतीक

राजनाथ सिंह ने बताया कि वर्ष 2014 में देश का रक्षा उत्पादन जहां केवल 46,425 करोड़ रुपये था, वहीं अब यह बढ़कर रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। इसमें निजी क्षेत्र का योगदान भी 33,000 करोड़ से ज्यादा का है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में निजी उद्योग भी अहम भागीदार बनते जा रहे हैं। यही वजह है कि भारत के रक्षा निर्यात, जो दस साल पहले मात्र 1,000 करोड़ से भी कम थे, अब बढ़कर 24,000 करोड़ से अधिक हो गए हैं। यह सिर्फ व्यापार या उत्पादन का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत की बदलती वैश्विक पहचान का प्रतीक है। 

स्वदेशी तकनीक और हथियारों 

रक्षा मंत्री ने इस दौरान स्वदेशी तकनीक और हथियारों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा-आज हमारे स्वदेशी प्लेटफॉर्म जैसे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, आकाश मिसाइल सिस्टम और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर दुनिया को संदेश दे रहे हैं कि भारत की तकनीक और गुणवत्ता अब विश्व स्तरीय मानकों पर है। यह आत्मविश्वास और ताकत हमारे वैज्ञानिकों, उद्योगों और नेतृत्व की देन है। अब भारत रक्षा उपकरणों का आयात करने के बजाय स्वयं निर्माण कर रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि भारत ने अब पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसके साथ ही देश अब जेट इंजन निर्माण में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

एंटी सैटेलाइट हथियार भी होंगे अहम

वहीं एयर मार्शल तेजिंदर सिंह ने कहा कि आगामी युद्ध मैदान के बजाय आसमान में लड़ा जाएगा। यही वजह है कि सेना अब एआइ के साथ रोबोटिक्स, आटोनामस ड्रोन सिस्टम व मशीनरी के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। सैन्य क्षमता को मजबूत बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व मशीन लर्निंग अहम होगा और एआइ के माध्यम से भविष्य की स्थितियों का विश्लेषण भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि क्वांटम तकनीक बहुत हानिकारक भी हो सकती है।

हम सबसे पहले खुद को करें अपडेट

इसका दूसरा पहलू यह भी है कि इसके द्वारा अल्ट्रासिक्योर कम्युनिकेशन बनाया जा सकता है। स्पेस और काउंटर स्पेस टेक्नोलाजी क्षेत्र के माध्यम से मिसाइल वार्निंग सिस्टम और काइनेटिक एंटी सैटेलाइट वैपन भी तैयार हो रहे हैं। हमारे टैंक, फाइटर जेट्स व सबमरीन में बेहतर सेंसर्स व मारक क्षमता है। इन्हें समय के साथ अपडेट किया जा रहा है। युद्ध के लिए हम अपनी तकनीकी मजबूती पर जोर दे रहे हैं। हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि यह सभी तकनीक हमारे खिलाफ भी दुश्मन उपयोग कर सकता है। इस वजह से जरूरी है कि हम सबसे पहले खुद को अपडेट करें।
 

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