दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर लोगों की सांसों पर बोझ बन गई है। तापमान में गिरावट, हवा की गति धीमी होने और लगातार बढ़ते प्रदूषण स्रोतों के कारण राजधानी दिन-ब-दिन धुंध की मोटी चादर में लिपटती जा रही है। इस बीच, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब स्तर पर दर्ज किया गया।
By: Arvind Mishra
Nov 15, 202511:07 AM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर लोगों की सांसों पर बोझ बन गई है। तापमान में गिरावट, हवा की गति धीमी होने और लगातार बढ़ते प्रदूषण स्रोतों के कारण राजधानी दिन-ब-दिन धुंध की मोटी चादर में लिपटती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, रोजाना बढ़ता पीएम 2.5 और पीएम 10 स्तर इस बात का संकेत है कि दिल्ली की हवा अब खतरनाक श्रेणी को पार कर गंभीर स्थिति में पहुंच गई है। इस बीच, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब स्तर पर दर्ज किया गया। वजीरपुर 556 एक्यूआई के साथ सबसे अधिक प्रदूषित रहा, वहीं सोनिया विहार में 500 और बुराड़ी में 477 दर्ज किया गया। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रदूषण का बोझ पूरे एनसीआर पर समान रूप से बढ़ रहा है।
प्रमुख इलाकों का हाल
वजीरपुर-556, सोनिया विहार-500, बुराड़ी-477, रोहिणी-473, सत्यवती कॉलेज-469, इंदिरापुरम-459, चांदनी चौक-450, वसुंधरा-449, नोएडा सेक्टर-125, नोएडा सेक्टर-116 एक्यूआई दर्ज की गई।
लापरवाही ने बढ़ाया प्रदूषण
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सीएक्यूएम अब एनसीआर की मुख्य सड़कों पर डस्ट सेंसर लगाने पर विचार कर रहा है, ताकि सड़क धूल की वास्तविक निगरानी हो सके और स्रोतों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। अधिकारियों का मानना है कि सड़क धूल और निर्माण कार्यों में लापरवाही, प्रदूषण को लगातार बढ़ा रही है।
ग्रैप-3 के नियमों की उड़ीं धज्जियां
ग्रैप-3 लागू होने के बावजूद एजेंसियां सख्ती दिखाने में नाकाम रहीं। निर्माण स्थलों पर रोक, पानी का छिड़काव, सड़क सफाई—इन सभी मोर्चों पर कई विभाग फेल साबित हुए हैं। नतीजा यह कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाए गए प्रावधान कागजों तक ही सीमित दिखाई देते हैं, जबकि जमीन पर हवा और ज्यादा जहरीली होती जा रही है। सरकारी एजेंसियों की लगातार चूक और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, दिल्ली-एनसीआर की हवा आने वाले दिनों में और बिगड़ सकती है, जो लोगों की सेहत के लिए बड़ी चिंता का विषय है।