राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से भयावह हादसा हो गया। प्रार्थना सभा के दौरान एक स्कूल की गिरी छत भरभरा कर गिर गई। जहां सात बच्चों की मौत हो गई है। वहीं दर्जनभर बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
By: Arvind Mishra
Jul 25, 20252:58 PM
राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से भयावह हादसा हो गया। प्रार्थना सभा के दौरान एक स्कूल की गिरी छत भरभरा कर गिर गई। जहां सात बच्चों की मौत हो गई है। वहीं दर्जनभर बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। दरअसल, झालावाड़ के मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी सरकारी स्कूल की क्लास में शुक्रवार सुबह बच्चे बैठे थे, तभी कमरे की छत ढह गई और 35 बच्चे दब गए थे।घटनास्थल पर पहुंचे ग्रामीणों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर मलबा हटाकर बच्चों को निकाला और अस्पताल में भर्ती कराया। मनोहर थाना हॉस्पिटल के अनुसार 5 बच्चों की मौत मौके पर ही हो गई थी। वहीं दो बच्चों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। हादसे के बाद से ग्रामीणों में नाराजगी है। उनका कहना है कि लगातार बारिश से बिल्डिंग जर्जर हो गई थी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। वहीं हादसे को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दु:ख जताया है। इधर, झालावाड़ में हादसे के बाद नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में कहा कि सभी अफसरों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाए, ताकि स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
गांव वालों ने बताया कि वहां सुबह से बारिश हो रही थी। प्रार्थना का समय हुआ तो सभी क्लास के बच्चों को स्कूल के ग्राउंड में इकट्ठा करने की बजाय कमरे में बैठा दिया, ताकि वे गीले न हों। इसके कुछ देर बाद छत गिर गई और 35 बच्चे दब गए। इस स्कूल में कुल 7 कक्षाएं हैं। हादसे के दौरान स्कूल के क्लासरूम में 71 बच्चे थे। स्कूल में 2 टीचर भी मौजूद थे, लेकिन छत गिरने के वक्त बिल्डिंग से बाहर थे, वे सुरक्षित हैं।
एक- कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि जो भी जर्जर भवन हो वहां स्कूलों की छुट्टी कर दी जाए, लेकिन खुद कलेक्टर कह रहे हैं कि ना तो यह स्कूल जर्जर भवन की सूची में था और ना ही यहां बच्चों की छुट्टी की गई।
दो- स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची वर्षा राज क्रांति ने बताया की छत गिरने से पहले कंकड़ गिर रहे थे, बच्चों ने बाहर खड़े शिक्षकों को इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया और थोड़ी देर बाद ही छत भरभरा कर गिर गई।
यहां हैरानी की बात यह है कि बच्चों की मौत के जिम्मेदारों को ढूंढा जाता, उससे पहले ही प्रशासन ने स्कूल की बची हुर्ह पूरी बिल्डिंग गिरा दी। प्रशासन ने पहले जेसीबी से क्लास रूम का मलबा हटाया, उसके बाद पूरा भवन गिरा दिया।
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल का भवन काफी पुराना था और बारिश के दौरान पहले भी पानी टपकने की शिकायतें की जा चुकी थीं। फिलहाल घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। यह हादसा सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। प्रदेश में पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं।
हादसे में पायल (14) पुत्री लक्ष्मण, प्रियंका (14) पुत्री मांगीलाल, कार्तिक (8) पुत्र हरकचंद, हरीश (8) पुत्र बाबूलाल, कान्हा पुत्र छोटूलाल, कुन्दन (12) पुत्र बिरम की मौत हुई है। दो बच्चों की पहचान नहीं हुई।
वहीं, कुंदन (12) पुत्र वीरम, मिनी (13) पुत्र छोटूलाल, वीरम (8) पुत्र तेजमल, मिथुन (11) पुत्र मुकेश, आरती (9) पुत्री हरकचंद, विशाल (9) पुत्र जगदीश, अनुराधा (7) पिता लक्ष्मण राजू (10) पुत्र दीवान, शाहीना (8) पुत्र जगदीश को झालावाड़ रेफर किया गया है।