गंजबासौदा। शहर की सड़कों और स्कूलों के बाहर बिक रहे गोलगप्पों का स्वाद लोगों को भले ही लुभा रहा हो, लेकिन इसके पानी में घुला केमिकल सेहत पर सीधा असर डाल रहा है। नगर पालिका की स्वास्थ्य शाखा की कार्रवाई में खुलासा हुआ कि अधिकतर खोमचे साइट्रिक एसिड से बना नकली खट्टा पानी पिला रहे थे। नपा स्वास्थ्य अमले ने मौके पर ही 100 लीटर से ज्यादा केमिकल युक्त पानी नष्ट किया। जांच में सामने आया कि गोलगप्पों में भरे जाने वाले पानी में न अमचूर था, न नींबू रस और न ही पुदीना पत्ती। दुकानदारों ने चटपटा स्वाद देने के लिए साइट्रिक एसिड, नकली पुदीना अर्क और हरी केमिकल डाई का इस्तेमाल किया।
नपा स्वास्थ्य अधिकारी आरके नेमा ने बताया कि नष्ट कराया गया पानी पूरी तरह केमिकलयुक्त था। साइट्रिक एसिड वही पदार्थ है, जिससे घरों में टाइल्स और फर्श चमकाए जाते हैं। यह पेट में जाने पर सेहत को नुकसान पहुंचाता है।
शहर भर में चल रहे करीब एक दर्जन गोलगप्पे खोमचों की जांच की गई। इनमें से 8 खोमचों का पानी पूरी तरह असुरक्षित पाया गया। सिर्फ 4 खोमचों का पानी ही सुरक्षित निकला। नगर पालिका की इस कार्रवाई से मिलावटखोरी की परतें खुल गई हैं।
ढाई दर्जन से ज्यादा खोमचे, रोज 10 हजार गोलगप्पे हो रहे खपत
शहर में करीब 25 से अधिक खोमचे रोजाना लगते हैं, जिनमें से कई गलियों में फेरी लगाते हैं। बच्चों, महिलाओं और युवाओं में गोलगप्पा खाने का क्रेज इस कदर है कि रोज 10 हजार तक गोलगप्पे शहर में खपत हो रहे हैं। इनमें उपयोग होने वाले पानी का बड़ा हिस्सा सस्ता पड़ने के कारण साइट्रिक एसिड से तैयार किया जाता है। किराना व्यापारियों की मानें तो अमचूर या नींबू से पानी बनाना महंगा पड़ता है, जबकि केमिकलयुक्त पानी दस गुना सस्ता पड़ता है और स्वाद भी ज्यादा तीखा देता है। इसी सस्तेपन की लालच में दुकानदार लोगों की सेहत से खेल रहे हैं।
बाजार में प्रतिस्पर्धा और मिलावट का खेल
कम दाम में ज्यादा माल बेचने की होड़ में दुकानदार खुलेआम मिलावट का खेल, खेल रहे हैं। महंगे खाने वाले रंगों की जगह सस्ते केमिकल रंग, पुदीना पत्तियों को जगह अर्क और नींबू की जगह साइट्रिक एसिड हर स्तर पर मिलावट चल रही है। लोग चटपटे स्वाद के लालच में अनजाने में जहर निगल रहे हैं, जबकि दुकानदार मुनाफा कमा रहे हैं। नपा स्वास्थ्य अधिकारी आरके नेमा ने बताया कि पकड़े गए पानी के सैंपल की जांच के लिए जिला खाद्य सुरक्षा दल को पत्र भेजा जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद संबंधित खोमचों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एक्सपर्ट की राय - त्वचा, दांत और पेट- सब पर वार
रसायन शास्त्र के प्रोफेसर रमेश कुमार शर्मा के अनुसार साइट्रिक एसिड का अत्यधिक उपयोग शरीर के कई अंगों पर दुषरभाव डाल सकता है। त्वचा पर लंबे समय तक संपर्क से जलन, सूजन और पित्ती हो सकती है। आंखों में जाने पर तीखी जलन होती है। लगातार सेवन से दांतों का इनेमल घिसकर संवेदनशीलता और केविटी बढ़ जाती है। पेट में जाने पर जो मिचलाना, उल्टी, दस्त और गेस्ट्रिक समस्या हो सकती है। विशेषकर बच्चों की सेहत पर इसका असर खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है।