भारतीय वायुसेना फ्रांस में 16 से 27 नवंबर तक होने वाले गरुड़-25 द्विपक्षीय वायु अभ्यास में सुखोई-30 एमकेआई विमानों के साथ भाग ले रही है। सी-17 विमान लॉजिस्टिक समर्थन दे रहे हैं और आईएल-78 टैंकर रेंज बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
By: Sandeep malviya
Nov 15, 20256:33 PM
पेरिस। भारतीय वायुसेना ने फ्रांस में शुरू हो रहे द्विपक्षीय वायु युद्धाभ्यास गरुड़-25 में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा दी है। 16 नवंबर से 27 नवंबर 2025 तक चलने वाले इस संयुक्त अभ्यास में भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई फ्रांस की एयर एंड स्पेस फोर्स के उन्नत मल्टीरोल लड़ाकू विमानों के साथ कई जटिल युद्ध स्थितियों का अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास दोनों देशों की वायु क्षमताओं और सैन्य साझेदारी को नई मजबूती देने वाला माना जा रहा है।
इस 8वें संस्करण का मुख्य उद्देश्य वास्तविक युद्ध स्थितियों जैसे एयर-टू-एयर कॉम्बैट, एयर डिफेंस मिशन और संयुक्त स्ट्राइक आपरेशंस में समन्वय और तालमेल को मजबूत करना है। भारतीय वायुसेना ने बताया कि ऐसे अभ्यासों से न सिर्फ रणनीति और संचालन तकनीक में सुधार होता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों सेनाओं की इंटरआॅपरेबिलिटी भी बढ़ती है। 'गरुड़-25' में भारत और फ्रांस अपने पायलटों, तकनीकी स्टाफ और संचालन विशेषज्ञों के बीच पेशेवर समन्वय को और बेहतर बनाएंगे।
C-17 और IL-78 की बड़ी भूमिका
भारतीय वायुसेना का दल 10 नवंबर को फ्रांस पहुंच चुका है। अभ्यास के लिए सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान मुख्य भूमिका में रहेंगे। उनकी लॉजिस्टिक और परिचालन जरूरतों के लिए सी-17 ग्लोबमास्टर-III एयरलिफ्ट विमान का इस्तेमाल इंडक्शन और डी-इंडक्शन चरणों में किया जा रहा है। वहीं, आईएल-78 एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग टैंकर सुखोई विमानों की रेंज बढ़ाने और लंबे समय तक मिशन को जारी रखने में मदद करेंगे।
वास्तविक युद्ध स्थिति की नकल
अभ्यास के दौरान भारतीय सुखोई विमान फ्रांसीसी बहु-भूमिका लड़ाकू विमानों के साथ संयुक्त मिशन उड़ाएंगे। इसमें हाई-थ्रेट एयरस्पेस, मल्टी-एसेट स्ट्राइक पैकेज, इंटरसेप्शन मिशन और एयर डिफेंस की उन स्थितियों का अभ्यास शामिल है, जो वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में सामने आती हैं। दोनों देशों के पायलट साझा तौर पर इन मिशनों की प्लानिंग और डी-ब्रीफिंग करेंगे, जिससे तकनीकी दक्षता और अनुभव का आदान-प्रदान हो सके।
दोनों के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी
गरुड़-25 भारतीय और फ्रांसीसी वायुसेना के बीच पेशेवर संवाद का एक बड़ा मंच भी है। इसमें रणनीतिक संचालन, मिशन प्लानिंग, विमानन सुरक्षा और आधुनिक युद्ध तकनीकों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। दोनों देशों के सैन्य विशेषज्ञ अपने-अपने अनुभव साझा करेंगे और यह मूल्यांकन करेंगे कि भविष्य के संयुक्त अभियानों को और अधिक प्रभावी कैसे बनाया जा सकता है। यह अभ्यास भारत की वैश्विक सैन्य साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मजबूत रक्षा साझेदारी को नई रफ्तार
भारतीय वायुसेना ने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय अभ्यास दोस्ती और रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई देते हैं। 'गरुड़-25' भारत की इस प्रतिबद्धता को दशार्ता है कि वह मित्र देशों के साथ मिलकर आधुनिक हवाई संचालन की क्षमता को विकसित और परिष्कृत करता रहेगा। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे मजबूत रक्षा संबंधों को और प्रतिष्ठित करता है और आने वाले समय में संयुक्त अभियानों की क्षमता को बढ़ाने का भी आधार बनेगा।