मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पर ‘सुप्रीम’ नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने याचिका को लंबित याचिका के साथ संलग्न कर दिया है।

By: Arvind Mishra

Jul 04, 20253:33 PM

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मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पर ‘सुप्रीम’ नोटिस

कोर्ट ने पूछा-13 फीसदी पद होल्ड, इनमें नियुक्तियों में क्या दिक्कत 


भोपाल/नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने याचिका को लंबित याचिका के साथ संलग्न कर दिया है। दरअसल, मप्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मप्र के मुख्य सचिव से एफिडेफिट मांगा है कि जो 13 फीसदी पद होल्ड हैं, उन पर नियुक्तियों में क्या दिक्कत है। सरकार ने 2019 में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए एक्ट पास किया गया था, लेकिन अमल में नहीं आ पाया। कोर्ट नंबर 12 में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच में सुनवाई की। यह केस सीरियल नंबर-35 पर लगा था। याचिकाकर्ता ओबीसी महासभा की ओर से एक बार फिर से मप्र की 51 प्रतिशत ओबीसी होने की दलील दी गई। मामले में मप्र हाईकोर्ट से ट्रांसफर होकर करीब 70 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पहुंची हैं, उन्हीं पर आगे सुनवाई होगी। तत्काल आरक्षण देने संबंधी इस याचिका में अभी कोई राहत नहीं मिली है।

वकील ने कहा- नहीं मिल रहा लाभ

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि एक्ट पास होने के बाद भी उम्मीदवारों को पांच साल से 27 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। सरकार 19 मार्च 2019 के हाईकोर्ट के एक पुराने अंतरिम आदेश का हवाला देकर आरक्षण से बच रही है। जबकि एक्ट पर कोई रोक नहीं है। इसे लागू किया जाए।

आरक्षण की टाइमलाइन

मार्च 2019: कमलनाथ सरकार का फैसला। ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया।

मार्च 2019: हाईकोर्ट ने फैसले पर रोक लगाई। कहा कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता।

सितंबर 2021: सरकार की नई गाइडलाइंस। तत्कालीन महाधिवक्ता के अभिमत के बाद ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की अनुमति दी।

अगस्त 2023: हाईकोर्ट ने 87:13 फॉर्मूला लागू किया। 87 फीसदी पदों पर भर्ती के साथ 13 प्रतिशत पदों को होल्ड पर रखा गया।

28 जनवरी 2025: हाईकोर्ट का फैसला। 87:13 फॉर्मूले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज की गईं। 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हुआ।

13 फरवरी 2025: मप्र सरकार ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया। सरकार ने एडवोकेट जनरल को जल्द सुनवाई के लिए आवेदन लगाने को कहा।

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