खैबर पख्तूनख्वा में 17 टीटीपी आतंकियों के मारे जाने से पाकिस्तान की सुरक्षा विफलताएं फिर उजागर हुईं। बन्नू जिले में दो अलग-अलग अभियानों ने दिखाया कि आतंकी नेटवर्क कितना मजबूत है और सरकार उन्हें रोकने में लगातार असफल हो रही है।
By: Sandeep malviya
Nov 22, 20255:48 PM
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक बार फिर आतंकी गतिविधियों का जाल सामने आया है, जिससे देश की सुरक्षा व्यवस्था की विफलता उजागर हो गई है। बन्नू जिले में टीटीपी आतंकियों की मजबूत मौजूदगी और लगातार हो रही मुठभेड़ों ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान अपनी ही जमीन पर फैल रहे आतंक के खिलाफ प्रभावी रणनीति बनाने में नाकाम है। 17 टीटीपी आतंकियों का मारा जाना इसी गहरी जड़ें जमा चुके आतंकी नेटवर्क का संकेत है।
शेरी खैल और पक्का पहाड़ खैल में आतंकियों की सक्रिय मौजूदगी की पुष्टि के बाद सुरक्षा बलों ने अभियान चलाया। लेकिन यह खुद इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तानी एजेंसियां पहले आतंकियों को बढ़ने देती हैं और बाद में कार्रवाई का दिखावा करती हैं। वर्षों से टीटीपी खुलकर पाकिस्तान में हथियारों और विस्फोटकों के साथ सक्रिय है, जिसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
पाकिस्तान की नापाक निगरानी उजागर
आईजीपी जुल्फिकार हमीद के अनुसार पहले अभियान में 10 आतंकी मारे गए और एक फसिलिटेटर गिरफ्तार हुआ। लेकिन सवाल यह है कि इतने बड़े आतंकी नेटवर्क की जानकारी पाकिस्तान को पहले क्यों नहीं मिली। सात शव बरामद हुए जबकि तीन दुर्गम इलाके में रहे यह भी पाकिस्तान की कमजोरी है कि आतंकवादी पहाड़ी क्षेत्रों में पूरे सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं और सरकार वर्षों से हालात काबू नहीं कर पा रही है।
आठ घंटे की मुठभेड़
दूसरे पूरे आठ घंटे चले अभियान में सात और आतंकी मारे गए। पाकिस्तान दावा करता है कि सुरक्षा बलों को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन असलियत यह है कि टीटीपी की बढ़ती शक्ति और लगातार जारी हमलों ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैला दी है। स्थानीय लोग भी अब पाकिस्तान सरकार की नाकामी से परेशान हैं और सुरक्षा एजेंसियों पर भरोसा खोते जा रहे हैं।
पाकिस्तान की ढुलमुल नीति का नतीजा
मारे गए आतंकियों से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद हुए। यह पाकिस्तान की उस ढुलमुल नीति का नतीजा है जिसने दशकों तक आतंकी संगठनों को पनाह दी और उनका इस्तेमाल पड़ोसी देशों के खिलाफ किया। अब वही संगठन पाकिस्तान में ही सिर उठा रहे हैं और सुरक्षा तंत्र को चुनौती दे रहे हैं। अब्शार चौक बन्नू में 10 किलो का बम मिलने और उसे निष्क्रिय करने की घटना यह साफ दिखाती है कि पाकिस्तान आतंकियों के जाल को खत्म नहीं कर पा रहा। घी के डिब्बे में छिपाया गया बम एक बड़े हमले की साजिश का हिस्सा था, जिसे समय रहते रोका गया। लेकिन यह खतरा हर बार टलना पाकिस्तान की असफलता का प्रमाण है, सफलता का नहीं।