विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एससीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए दो टूक कहा कि दुनिया को आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति जीरो टॉलरेंस अपनानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
By: Sandeep malviya
Nov 18, 20256:31 PM
मॉस्को। भारत ने मंगलवार को कहा कि दुनिया को आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) दिखानी चाहिए। इसके अलावा, भारत ने यह भी कहा कि इसको उचित नहीं ठहाराया जा सकता और इसे छिपाया नहीं जा सकता।
बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुकूल हो एससीओ
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, हमें आतंकवाद से अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है और हम यह करते रहेंगे। जयशंकर ने कहा, भारत का मानना है कि एससीओ को बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुकूल होना चाहिए। एक विस्तृत एजेंडा तैयार किया जाना चाहिए और कार्यप्रणाली में सुधार होना चाहिए। उन्होंने कहा, इन उद्देश्यों के लिए सकारात्मक और पूरा योगदान देंगे।
2017 में संगठन के स्थायी सदस्य बने भारत-पाकिस्तान
एससीओ का गठन 2001 में शंघाई में किया गया था। इसकी स्थापना एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस, चीन, किर्गिजस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने। जुलाई 2023 में भारत की मेजबानी में आयोजित इस समूह के एक आॅनलाइन सम्मेलन में ईरान इसका स्थायी सदस्य बना।
'आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद गंभीर खतरे'
उन्होंने आगे कहा, हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि एससीओ को आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए बनाया गया था। बीते वर्षों में ये खतरे और भी गंभीर हो गए हैं। विदेश मंत्री ने कहा, यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाए। इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता और इस पर पर्दा नहीं डाला जा सकता। विदेश मंत्री ने वैश्विक स्तर पर मौजूदा आर्थिक हालात और प्रभावशाली समूह में बेहतर सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, हमारा आकलन है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक हालात अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं। मांग पक्ष की जटिलताओंके चलते आपूर्ति पक्ष के जोखिम और भी बढ़ गए हैं। इसलिए जोखिम कम करने के लिए तत्काल विविधिकरण की जरूरत है। यह लोगों के आपसी संबंधों और व्यापाक आर्थिक संबंध स्थापित करके किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत हो। विदेश मंत्री ने कहा, एक सभ्य देश के रूप में भारत का मजबूती से भरोसा रहा है कि लोगों के आपसी संबंधि किसी भी वास्तविक संबंध का मूल हैं। हमारे विद्वानों, कलाकारों, खिलाड़ियों और सांस्कृतिक हस्तियों के बीच बेहतर संपर्क को सुगम बनाने में एससीओ में गहरी समझ का रास्ता बनाएगा। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के संबंध में सहयोग की गतिविधियां भी लगातार बढ़ रही हैं।