बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मृत्युदंड की सजा मिली है। ढाका में मौजूद अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने यह फैसला सुनाया है। बता दें कि शेख हसीना को पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों में आरोपी बनाया गया है। मामले में सरकारी अभियोजकों ने मृत्युदंड की अपील थी।
By: Sandeep malviya
Nov 17, 20256:23 PM
ढाका । बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ चल रहे एक मामले पर सोमवार को ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल-बांग्लादेश) की तरफ से फैसला सुनाया गया। ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए कहा कि वे अधिकतम सजा की हकदार हैं। इसी के साथ न्यायाधिकरण ने उन्हें मौत की सजा सुनाई।
निहत्थे नागरिकों पर की गई समन्वित हिंसा
शेख हसीना के सहयोगी रहे देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा सुनाई गई। न्यायाधिकरण ने सोमवार को पारित अपने फैसले में कहा, पिछले साल के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए सजाएं सुनाई गई हैं। न्यायाधिकरण ने कहा, 'ये फैसला निहत्थे नागरिकों पर की गई समन्वित हिंसा की गंभीरता' का सबूत है। बता दें कि ट्रिब्यूनल ने दोनों को उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई।
सरकारी गवाब बने पूर्व पुलिस महानिरीक्षक को पांच साल की जेल
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी-बीडी) ने हसीना और असदुज्जमां खान कमाल के अलावा पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी इसी मामले में पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। मामून हिरासत में हैं। उन्होंने मुकदमे की कार्यवाही के दौरान अपना अपराध स्वीकार कर सरकारी गवाह बनने का निर्णय ले लिया। इस पर न्यायाधिकरण की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, उनके सहयोग से अभियोजन पक्ष को दोष सिद्ध करने में 'काफी मदद' मिली।
अधिकतम सजा की अपील करते हुए अभियोजन पक्ष ने क्या कहा?
पूर्व गृह मंत्री कमाल को मौत की सजा सुनाते हुए, न्यायाधिकरण ने उनकी सभी चल और अचल संपत्तियों को जब्त करने का आदेश भी दिया। माना जाता है कि कमाल बांग्लादेश छोड़ने के बाद भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। गैरहाजिरी में चलाए गए मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने अधिकतम सजा की अपील करते हुए कहा, पूर्व गृह मंत्री कमाल ने 2024 में भड़की हिंसा के दौरान समन्वय करने वाले की 'मुख्य भूमिका' निभाई।
हसीना ने अंतरिम सरकार पर 'पार्टी को खत्म करने की साजिश' का आरोप लगाया
गौरतलब है कि शेख हसीना इस वक्त भारत में हैं। उन्होंने ट्रिब्यूनल में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं और वे ऐसे फैसलों की परवाह नहीं करतीं। आईसीटी के फैसले से पहले अपने समर्थकों को जारी एक आॅडियो संदेश में हसीना ने कहा था कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है। हसीना ने कहा था कि यह इतना भी आसान नहीं है। आवामी लीग जमीन से उठी पार्टी है।
कानून व्यवस्था बनाए रखना बड़ी चुनौती
बता दें कि बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़कने की आशंका के बीच मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने देशभर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। ढाका पुलिस कमिश्नर शेख मोहम्मद सज्जात अली ने पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया है कि अगर कोई बसों को आग लगाने की कोशिश करे या क्रूड बम फेंके, तो उन पर गोली चलाई जाए। पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक, संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं। कई टीमों को स्टैंडबाय पर भी रखा गया है।
बांग्लादेश में बॉर्डर गार्ड्स की भी तैनाती
बांग्लादेश में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी), रैपिड एक्शन ब्रिगेड (आरएबी) और सेना के जवानों को प्रमुख चोक प्वाइंट्स पर तैनात किया गया है। इस कदम को कानूनी तौर पर सही ठहराने के लिए पुलिस ने दंड संहिता की धारा 96 के तहत निजी रक्षा का हवाला दिया है। हालांकि, मानवाधिकार समूहों ने इस आदेश पर पहले के भारी दुरुपयोगों के तथ्य को ध्यान दिलाते हुए चिंता जताई है।
आवामी लीग ने बुलाया बांग्लादेश बंद
शेख हसीना को लेकर फैसले के दिन उनकी पार्टी आवामी लीग ने बांग्लादेश बंद का आह्वान भी किया। पार्टी का दावा है कि उसकी नेता के खिलाफ सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।