1200 घरों में ट्यूबवेल से जल सप्लाई, टीडीएस 800 तक, किडनी, पथरी और त्वचा रोग होने का खतरा
By: Gulab rohit
Nov 07, 202510:03 PM
गंजबासौदा। नगर में 84 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुई बेतवा आधारित नल-जल योजना के बावजूद नगर पालिका आज भी करीब दो दर्जन ट्यूबवेल से 1200 उपभोक्ताओं को जल सप्लाई कर रही है।
इन ट्यूबवेल को चलाने के लिए हर महीने बिजली कंपनी को करीब ढाई लाख रुपए का से अतिरिक्त बिल देना पड़ रहा है। यह खर्च सिर्फ उन प्रभावशाली लोगों के दबाव का परिणाम है जो नल-जल योजना की मुख्य सप्लाई लाइन जुड़ने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें ट्यूबवेल से 24 घंटे पानी मिल रहा है। नगर पालिका के इन ट्यूबवेल से निकला पानी न केवल महंगा साबित हो रहा है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।
स्टार समाचार ने जवाहर रोड, चूड़ी मोहल्ला और सावरकर चौक के छह स्थानों पर जल गुणवत्ता की जांच कराई। पता चला कि टीडीएस स्तर 700 से 800 तक पहुंच गया है, जबकि बेतवा आधारित योजना से आने वाले पानी में यह स्तर 160 तक सीमित है। चिकित्सकों का कहना है कि 100 से अधिक टीडीएस वाला पानी शरीर के लिए असुरक्षित है। लंबे समय तक ऐसे पानी के सेवन से किडनी संबंधी रोग, पथरी और त्वचा रोग जैसी समस्याएं हो सकती है।
बेतवा से मिल रहा शुद्ध जल, फिर भी ट्यूबवेल पर अड़े उपभोक्ता
नगर में बेतवा नौलखी घाट से लाई गई नई योजना से फिल्टर किया हुआ शुद्ध जल सप्लाई किया जा रहा है। इसके बावजूद पुरानी ट्यूबवैल लाइनें चालू हैं। नपा के आंकड़ों के अनुसार नगर में करीब 10 हजार से ज्यादा जल कनेक्शन हैं। इनमें से 8800 से ज्यादा उपभोक्ता नई जल योजना से जुड़े हैं, जबकि लगभग 1200 कनेक्शन पुराने ट्यूबवेल पर टिके हुए हैं। इन ट्यूबवेल से चल रही जल व्यवस्था से मिलने वाली जल कर राशि के मुकाबले दोगुना खर्च सिर्फ बिजली बिल पर हो रहा है, जो सीधे तौर पर नगर पालिका की आर्थिक स्थिति पर भार बन चुका है।
नपा के पास समाधान, लेकिन कार्रवाई ठप, दावा - योजना से जोड़ा जाएगा
नगर पालिका ने दो नई पानी की टंकियों के निर्माण और नई पाइपलाइन बिछाना शुरू किया है। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि जैसे ही ये दोनों टंकियां शुरू होंगी, सभी पुराने कनेक्शनों को नई नल-जल योजना से जोड़ा जाएगा। कुछ वार्डों में सप्लाई नहीं पहुंचने की शिकायत के चलते अस्थायी रूप से ट्यूबवेल से जोड़ा गया था। अब नई टंकियां तैयार हो रही हैं।
किडनी को खतरा, पत्थरी की संभावना बढ़ती है
उच्च टीडीएस वाले पानी में कैल्शियम और मिनरल्स की मात्रा अत्यधिक होती है, जो किडनी पर सीधा असर डालती है। लगातार हार्ड पानी पीने से शरीर में पत्थरी बनने का खतरा बढ़ जाता है। पानी में टीडीएस की मात्रा 100 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
डॉ. प्रमेंद्र तिवारी, बीएमओ, गंजबासौदा
अनावश्यक भार खत्म करेंगे
इन क्षेत्रों को जल आवर्धन योजना से जोड़ा जाएगा और अनावश्यक भार खत्म किया
जाएगा।
सुनील यादव, प्रभारी जल योजना, नपा, गंजबासौदा।