TMC सांसद अभिषेक बनर्जी को मानहानि मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय द्वारा दायर केस में उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी है। जानें पूरा मामला और सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर।
By: Ajay Tiwari
Nov 17, 20255:21 PM
हाइलाइट्स
जबलपुर. स्टार समाचार वेब
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद अभिषेक बनर्जी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MP High Court) से महत्वपूर्ण अंतरिम राहत मिली है। यह मामला इंदौर के पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे से जुड़ा है, जिसके तहत भोपाल की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अभिषेक बनर्जी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकल पीठ ने सुरक्षित रखे गए फैसले में, तृणमूल कांग्रेस सांसद के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी है।
यह मामला नवंबर 2020 में कोलकाता में एक जनसभा के दौरान अभिषेक बनर्जी के बयान से संबंधित है। आरोप है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को 'गुंडा' कहा था। इस बयान को लेकर आकाश विजयवर्गीय ने 2021 में अभिषेक बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।
सुनवाई: 1 मई 2021 से इस मामले की सुनवाई भोपाल की एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही है।
गिरफ्तारी वारंट: अभिषेक बनर्जी के किसी भी पेशी में हाजिर न होने पर, अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट तथागत याग्निक ने 11 अगस्त और 26 अगस्त 2025 की तारीखों के लिए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
हाईकोर्ट में चुनौती: अभिषेक बनर्जी ने इस गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
अंतरिम राहत: सोमवार को, हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए भोपाल की एमपी-एमएलए कोर्ट से जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी।
अगली सुनवाई: कोर्ट ने कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
अभिषेक बनर्जी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे और एम अग्रवाल ने पैरवी की। उन्होंने दलील दी कि मानहानि का मुकदमा अनुचित है क्योंकि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था और समाचारों में गलत ढंग से प्रसारित किया गया था। वकीलों ने अधीनस्थ अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने की मांग की, जिसे कोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद सुरक्षित रख लिया था और अब अंतरिम राहत प्रदान की है।