एम्स भोपाल में 37 वर्षीय ब्रेन डेड युवक के अंगदान ने पाँच लोगों को नया जीवन दिया। यह एम्स का तीसरा हार्ट ट्रांसप्लांट था। जानें कैसे ग्रीन कॉरिडोर और ओटी में पोस्टमार्टम से यह सफल प्रत्यारोपण संभव हुआ।
By: Ajay Tiwari
Oct 26, 2025just now
हाइलाइट्स
भोपाल. स्टार समाचार वेब.
रविवार की सुबह भोपाल के एम्स अस्पताल के ऑपरेशन थिएटरों में 'जीवनदान' का एक ऐसा अध्याय लिखा गया, जिसने चिकित्सा जगत में समन्वय और मानवीयता की नई मिसाल पेश की। 37 वर्षीय ब्रेन डेड युवक के अंगदान ने पाँच लोगों के जीवन में नई उम्मीदें भर दीं। एक साथ तीन ऑपरेशन थिएटरों में डॉक्टरों की टीमें सक्रिय थीं, जहाँ एक ओर युवक के अंग निकाले जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर निकाले गए दिल और किडनी ज़रूरतमंद मरीज़ों में प्रत्यारोपित किए जा रहे थे।
एक हृदय, दो किडनी और दो कॉर्निया:
युवक के अंगदान से पांच मरीज़ों को नया जीवन मिला। इसमें हार्ट (दिल), दोनों किडनी और दो कॉर्निया शामिल थे। यह एम्स भोपाल के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि यह अस्पताल का तीसरा सफल हार्ट ट्रांसप्लांट और 16वां किडनी प्रत्यारोपण था। अंगदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, अंगदाता को अस्पताल परिसर में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ के साथ सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी गई।
नई धड़कन और उम्मीद की लौ:
दान किया गया दिल एक 40 वर्षीय महिला के सीने में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया, जहाँ वह अब जीवन की लय बनकर धड़क रहा है। दोनों किडनियों में से एक एम्स भोपाल के मरीज़ को मिली, जबकि दूसरी किडनी भोपाल के बंसल अस्पताल के एक मरीज़ में प्रत्यारोपित की गई। अंग को सुरक्षित और समय पर निजी अस्पताल तक पहुँचाने के लिए शहर में ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिससे ट्रैफिक को रोके बिना यह जटिल प्रक्रिया समय पर पूरी हो सकी।
ओटी में ही हुआ पोस्टमार्टम:
यह मामला मेडिकोलीगल प्रकृति का होने के कारण, मृत्यु के कारण की पुष्टि के लिए पोस्टमार्टम आवश्यक था। एम्स भोपाल के इतिहास में यह दूसरा मौका था जब पोस्टमार्टम की प्रक्रिया सीधे ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में ही संपन्न की गई। इस असाधारण कदम ने अंग निष्कर्षण की प्रक्रिया को समय पर और विधिसम्मत ढंग से पूरा करने में मदद की, जो एम्स की तकनीकी क्षमता और आपसी समन्वय की एक बड़ी उपलब्धि को दर्शाता है।
नींद में गिरने से हुई थी गंभीर चोट:
अंगदाता के भाई, भारत पाटिल, ने बताया कि दिवाली के दो दिन बाद उनका भाई नींद में बिस्तर से गिर गया था, जिससे सिर में गंभीर चोट लग गई थी। इलाज के दौरान, डॉक्टरों ने गहन परीक्षणों के बाद उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने नियमानुसार छह घंटे के अंतराल पर पुतली, कॉर्नियल, कफ, गग, ऑकुलोवेस्टिब्युलर और एपनिया टेस्ट किए। सभी रिफ्लेक्स अनुपस्थित पाए जाने के बाद शनिवार देर रात उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
परिजनों की सहमति मिलते ही अंगदान की प्रक्रिया शुरू हुई। भारत पाटिल ने कहा, "भाई तो चला गया, लेकिन उसने अपने अंग दान कर किसी और को नई ज़िंदगी दी।" मृतक के पीछे उनकी पत्नी और दो नन्ही बेटियाँ हैं। परिवार ने इस कठिन समय में सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है।
राज्य सरकार ने हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए आर्थिक सहायता के रूप में ₹5 लाख स्वीकृत किए हैं।