लोकसभा सत्र में गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बीच 'चुनाव आयोग को फुल इम्युनिटी' के प्रस्ताव पर गरमागरम बहस हुई। जानें, शाह ने क्यों कहा कि विपक्ष चुनाव आयोग की छवि खराब कर रहा है और ईवीएम-वीवीपैट पर क्या तथ्य रखे।
By: Ajay Tiwari
Dec 10, 20256:17 PM
लोकसभा के सत्र में बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हस्तक्षेप से सदन का माहौल गरमा गया। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को फुल इम्युनिटी देने के प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण मांगा, जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी तकरार हुई।
अमित शाह ने कहा कि वह अपने भाषण का क्रम खुद तय करेंगे और किसी के उकसावे में नहीं आएंगे, यह कहते हुए कि 30 साल में ऐसा पहली बार हुआ है। इस पर राहुल गांधी ने इसे 'डरा हुआ, घबराया हुआ रेस्पॉन्स' बताया और गृह मंत्री को 'SIR' (स्पष्ट नहीं) पर खुली बहस की चुनौती दी। शाह ने राहुल के चेहरे पर चिंता की लकीरें देखने की बात कही, लेकिन साथ ही यह भी माना कि विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें बोलने का अधिकार है।
अमित शाह ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाने की 'नई परंपरा' पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बीजेपी विपक्ष में रहने के दौरान भी कभी चुनाव आयोग पर आरोप नहीं लगाती थी। शाह ने आरोप लगाया कि अब यह परंपरा कांग्रेस से शुरू होकर इंडी अलायंस के नेताओं—ममता बनर्जी, स्टालिन, खरगे, अखिलेश, हेमंत सोरेन और भगवंत मान—तक फैल गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाकर पूरे चुनाव आयोग की छवि को दुनिया भर में धूमिल करने की कोशिश की जा रही है, जिससे देश की छवि खराब होती है।
यह भी पढ़ें...
गृह मंत्री ने ईवीएम और वीवीपैट की विश्वसनीयता पर भी बात की। उन्होंने बताया कि पांच साल की रिसर्च के बाद वीवीपैट को लाया गया और चुनाव आयोग ने 5% ईवीएम और वीवीपैट के परिणामों की तुलना का निर्णय लिया। उन्होंने चुनाव आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आज तक 16 हजार वीवीपैट और ईवीएम का मिलान हुआ है, जिसमें एक भी वोट की गड़बड़ी नहीं पाई गई है।
शाह ने यह भी याद दिलाया कि चुनाव आयोग ने 2009 और 2017 में भी ईवीएम से छेड़छाड़ साबित करने का मौका दिया था, जिसमें कोई भी सफल नहीं हो पाया। उन्होंने तर्क दिया कि ईवीएम का विरोध इसलिए होता है क्योंकि इसके आने से पहले यूपी और बिहार जैसे राज्यों में वोट के बक्से लूट लिए जाते थे, जो अब बंद हो चुका है। उनके अनुसार, ईवीएम ने भ्रष्ट तरीके से चुनाव जीतने के तरीके को खत्म कर दिया है और अब फैसला 'जनादेश' से होता है।
यह भी पढ़े...