पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन में 'मिलिट्री कमेटी फॉर रिफाउंडेशन' नामक सैन्य समूह ने तख्तापलट का ऐलान किया। राष्ट्रपति पैट्रिस टैलोन को सत्ता से हटाया गया। जानें पूरी घटना और पश्चिम अफ्रीका में तख्तापलट की बढ़ती कड़ी।
By: Ajay Tiwari
Dec 07, 20256:26 PM
कोटोनोऊ (बेनिन): स्टार समाचार वेब
पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया है। रविवार को सेना के एक समूह ने कथित तौर पर तख्तापलट करते हुए देश की सत्ता पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
'मिलिट्री कमेटी फॉर रिफाउंडेशन' (Military Committee for Refoundation) नामक सैन्य समूह ने अचानक देश के सरकारी टेलीविजन पर आकर तख्तापलट का ऐलान किया। समूह ने जारी बयान में घोषणा की कि वे मौजूदा सरकार को तत्काल प्रभाव से भंग कर रहे हैं।
सैनिकों ने कहा कि राष्ट्रपति पैट्रिस टैलोन, अन्य सभी राजनीतिक नेताओं और तमाम सरकारी संस्थाओं की शक्तियों को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जा रहा है। लेफ्टिनेंट कर्नल पास्कल टिग्री को फिलहाल इस सैन्य कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो देश की व्यवस्था को अपने नियंत्रण में ले रही है।
पैट्रिस टैलोन, जो 2016 से बेनिन की सत्ता में थे और जिनसे अगले अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के बाद पद छोड़ने की उम्मीद थी, उन्हें सत्ता से हटा दिया गया है।
अज्ञात ठिकाना: राष्ट्रपति टैलोन या उनकी सरकार की ओर से इस तख्तापलट पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति के आवास के पास गोलियों की आवाज़ भी सुनी गई है।
मीडिया ब्लैकआउट: सैन्य तख्तापलट के ऐलान के तुरंत बाद, सरकारी टीवी और पब्लिक रेडियो के सिग्नल काट दिए गए, जिससे राष्ट्रपति टैलोन के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है।
करीबियों का दावा: टैलोन के करीबियों ने बताया है कि राष्ट्रपति सुरक्षित हैं और सेना नियंत्रण वापस लेने की कोशिश कर रही है।
बेनिन का यह तख्तापलट पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में सैन्य शासन की बढ़ती प्रवृत्ति की एक नई कड़ी है। पिछले महीने गिनी-बिसाऊ में भी एक सैन्य तख्तापलट हुआ था, जिसमें विवादित चुनाव के बाद पूर्व राष्ट्रपति उमारो एम्बालो को हटा दिया गया था। यह वर्ष 2020 के बाद से इस क्षेत्र में हुआ नौवां सैन्य तख्तापलट है।
उल्लेखनीय है कि बेनिन को 1960 में फ्रांस से आज़ादी मिली थी, जिसके बाद इसने लंबे समय तक कई तख्तापलट देखे हैं। 1991 के बाद, देश में अस्थिरता कम हुई थी, जब मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट नेता मैथ्यू केरको ने शासन किया और देश का नाम बदलकर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ बेनिन किया था।