सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 25 पैसे गिरकर ₹90.74 के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। व्यापार अनिश्चितता और FIIs की बिकवाली से रुपये पर दबाव।
By: Ajay Tiwari
Dec 15, 20255:24 PM
सोमवार को भारतीय मुद्रा रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी रहा, और यह एक बार फिर नए सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुँच गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 25 पैसे टूटकर 90.74 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली की वजह से रुपये में यह कमजोरी देखने को मिली। कारोबार के दौरान यह एक समय अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.80 तक भी पहुँच गया था।
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपये ने 90.53 पर शुरुआत की। हालांकि, जोखिम से बचने की धारणा और आयातकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग ने निवेशकों की भावनाओं को और कमजोर किया। कारोबार के दौरान रुपया 90.80 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक फिसल गया, जो इसके पिछले बंद भाव से 31 पैसे की गिरावट थी। अंत में, यह 25 पैसे की गिरावट के साथ 90.74 (अस्थायी) के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। शुक्रवार को भारतीय मुद्रा 17 पैसे गिरकर 90.49 पर बंद हुई थी।
विशेषज्ञों ने बताया कि रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया है और एशियाई करेंसी में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। विदेश व्यापार के अपेक्षा से बेहतर आंकड़ों के बावजूद भी रुपये को कोई सहारा नहीं मिल सका। इस कमजोरी का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा असंतुलन है। इसका सीधा संबंध आयातकों की ओर से डॉलर की ऊँची मांग और बाजार से लगातार पूंजी निकासी से है। निकट अवधि में, हाजिर बाजार में रुपये पर दबाव बना हुआ है, जिसका मुख्य प्रतिरोध स्तर 90.95 और समर्थन स्तर 90.50 पर है।
रुपये पर दबाव बनाने वाले प्रमुख कारकों में से एक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली है। शेयर बाजार के आँकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को भी विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से ₹1114.22 करोड़ के शेयर बेचकर पूंजी बाहर निकाली। इस बीच, छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की स्थिति दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स आज 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.32 पर दर्ज किया गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.21 प्रतिशत की बढ़त के साथ $61.25 प्रति बैरल के भाव पर रहा।