नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की मान्यता में रिश्वतखोरी के बड़े घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर सहित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 15 ठिकानों पर छापेमारी की। पांच महीने पहले CBI ने 3 डॉक्टरों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। जानिए 'रावतपुरा सरकार' से जुड़े इस हाई-प्रोफाइल रैकेट का पूरा मामला।
By: Ajay Tiwari
Nov 27, 20257:34 PM
इंदौर. स्टार समाचार वेब
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की मान्यता में कथित रिश्वतखोरी से जुड़े एक बड़े घोटाले के सिलसिले में गुरुवार सुबह से इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल पर छापेमारी की है। केंद्रीय एजेंसी ने कॉलेज के अकाउंट सेक्शन को सील कर दिया है। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और देश भर में फैले कुल 15 ठिकानों पर एक साथ की जा रही है, जो इस मामले में व्यापक जांच की ओर इशारा करता है।
5 महीने पहले CBI ने देशभर में की थी छापेमारी
ED की यह कार्रवाई केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा 5 महीने पहले की गई देशव्यापी छापेमारी के बाद आई है। CBI ने तब कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक स्थानों पर तलाशी ली थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए थे। CBI जांच में यह खुलासा हुआ था कि आरोपी निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए सुनियोजित रणनीतियों का उपयोग कर रहे थे।
3 डॉक्टरों सहित 6 लोग हुए थे गिरफ्तार
जांच को आगे बढ़ाते हुए, CBI ने मेडिकल कॉलेज की मान्यता रिपोर्ट को अनुकूल बनाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में 3 डॉक्टरों समेत कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। इस स्कैम में छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) का नाम भी प्रमुखता से जुड़ा है। CBI की जांच के अनुसार, NMC की टीम ने श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज के पक्ष में रिपोर्ट बनाने के लिए हवाला के जरिए ₹55 लाख की रिश्वत ली थी। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. अशोक शेलके, अतुल कुमार तिवारी, सथीशा ए और रविचंद्र के. शामिल थे।
मान्यता के लिए 2 से 3 करोड़ रुपए की डील
इस पूरे मामले में रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं, जिनका संबंध भिंड (लहार) से है। बताया जाता है कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने रावतपुरा से अपने संपर्कों का लाभ उठाया और सरकारी सिस्टम में गहरी पैठ बना ली।
बताया जा रहा है, इन दोनों की सांठगांठ ने कॉलेज को मान्यता दिलाने को एक व्यापार बना दिया, जिसमें एक-एक कॉलेज की मान्यता के लिए लाखों नहीं, बल्कि ₹2 करोड़ से ₹3 करोड़ तक की डील की गई। यह कमीशन राशि संबंधित व्यक्तियों तक हवाला के जरिए पहुंचाई जाती थी। ED की वर्तमान कार्रवाई धन के अवैध लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं पर केंद्रित है।