मध्य प्रदेश में 1 जनवरी 2026 से नए सिविल सेवा अवकाश नियम लागू होंगे। CCL में 80% वेतन और EL को 'अधिकार' न मानने जैसे बड़े बदलाव किए गए हैं।
By: Ajay Tiwari
Nov 27, 20254:28 PM
भोपाल. स्टार समाचार वेब.
मध्य प्रदेश के 7 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की अवकाश व्यवस्था में 1 जनवरी 2026 से एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, क्योंकि वित्त विभाग ने मध्य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम 2025 की अधिसूचना जारी कर दी है। ये नए नियम 1978 के पुराने अवकाश नियमों का स्थान लेंगे, जिससे कर्मचारियों के लिए छुट्टियों के प्रावधानों में महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे।
संतान पालन अवकाश (Child Care Leave) में सबसे बड़ा बदलाव महिला कर्मचारियों के लिए किया गया है। अब तक मिलने वाले 730 दिनों के पूर्ण वेतन के साथ अवकाश के स्थान पर, नए नियम में पहले 365 दिन 100% वेतन और अगले 365 दिन केवल 80% वेतन देने का प्रावधान है। यह 80% वेतन की शर्त एक बार में या अलग-अलग हिस्सों में अवकाश लेने, दोनों ही स्थितियों में 365 दिन पूरे होने के बाद लागू होगी। इसके अलावा, सरोगेसी से जन्मे बच्चे या दत्तक (Adopted) लिए गए बच्चे (एक वर्ष की उम्र तक) की देखभाल करने वाली महिला कर्मचारियों को भी चाइल्ड केयर लीव का लाभ मिल सकेगा।
EL कर्मचारी का अधिकार नहीं
अर्जित अवकाश (Earned Leave - EL) के नियमों को भी संशोधित किया गया है, जिसके तहत कर्मचारियों को हर वर्ष दो किस्तों (प्रत्येक 6 माह पर 15-15 दिन) में 30 दिन का अर्जित अवकाश मिलेगा। हालांकि, अवकाश को अब कर्मचारी का 'अधिकार' नहीं माना जाएगा, बल्कि अंतिम निर्णय स्वीकृति अधिकारी पर निर्भर करेगा। साथ ही, कोई भी कर्मचारी लगातार पाँच वर्ष से अधिक का अवकाश नहीं ले पाएगा।
चिकित्सा अवकाश को सख्त बनाया
चिकित्सा अवकाश (Medical Leave) को भी सख्त बनाया गया है; अब केवल मेडिकल सर्टिफिकेट होना ही अवकाश की गारंटी नहीं देगा, बल्कि स्वीकृति प्राधिकारी का आदेश अनिवार्य होगा। पूरे सेवाकाल में कर्मचारी बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के 180 दिन का अर्द्धवेतन अवकाश ले सकते हैं, लेकिन यदि इस दौरान वे इस्तीफा देते हैं तो अंतर की राशि वसूल की जाएगी।
अध्ययन अवकाश का भी प्रावधान
इन नियमों में अध्ययन अवकाश (Study Leave) का भी प्रावधान किया गया है, जिसके तहत कर्मचारी सामान्यतः एक वर्ष तक और अधिकतम 24 महीने का अवकाश ले सकते हैं। हालांकि, इस अवकाश के दौरान फीस और यात्रा खर्च कर्मचारी को स्वयं वहन करना होगा, और अध्ययन के बाद नौकरी पर लौटने के लिए बॉन्ड भरना अनिवार्य होगा। ये नए नियम 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे।