मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में एक मादा बाघ की संदिग्ध मौत के बाद उसके शव को गुपचुप तरीके से जलाने के मामले में दक्षिण बालाघाट वन मंडल के डीएफओ अधर गुप्ता के खिलाफ चार्जशीट जारी की गई है। नियमों के उल्लंघन और सबूत मिटाने के प्रयासों ने वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विधायक अनुभा मुंजारे ने भी डीएफओ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
By: Ajay Tiwari
Oct 18, 20254 hours ago
बालाघाट. स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के वन्यजीव संरक्षण के लिए विख्यात बालाघाट जिले में एक बार फिर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लालबर्रा रेंज के अहियाटिकुर बीट में एक मादा बाघ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के बाद उसके शव को गुपचुप तरीके से जलाकर सबूत मिटाने का प्रयास सामने आया है। इस गंभीर अनियमितता और नियमों के उल्लंघन के चलते दक्षिण बालाघाट वन मंडल के मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) अधर गुप्ता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है।
बाघ के शव को जलाने से गहराया विवाद
प्राप्त जानकारी के अनुसार, लालबर्रा रेंज के अहियाटिकुर बीट में कुछ दिन पहले एक मादा बाघ मृत पाई गई। वन्यजीव संरक्षण के नियमों के तहत, ऐसी किसी भी घटना की तत्काल सूचना पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) और एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) को देना अनिवार्य होता है। हालांकि, डीएफओ अधर गुप्ता ने इस सूचना को उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंचाया।
वन विभाग की शुरुआती जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि बाघ के शव को बिना अनुमति के जला दिया गया। इस कृत्य से शव का पोस्टमार्टम और आवश्यक सैंपल की जांच नहीं हो सकी, जिसके कारण बाघ की मौत के असली कारण का पता लगाना असंभव हो गया है। इसे स्पष्ट रूप से सबूतों को नष्ट करने का प्रयास माना जा रहा है।
चार्जशीट और जिम्मेदार अधिकारियों पर आरोप
सरकार द्वारा जारी चार्जशीट में डीएफओ अधर गुप्ता पर घटना को दबाने और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप है। चार्जशीट में कहा गया है कि उन्होंने अपने अधीनस्थ वनपाल टीकाराम हनोते और वनरक्षक हिमांशु घोरमारे को गलत निर्देश दिए, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ। फिलहाल, मुख्य जिम्मेदार बताए जा रहे ये दोनों कर्मचारी घटना के बाद से लापता बताए जा रहे हैं। डीएफओ गुप्ता को इस चार्जशीट पर 15 दिन के भीतर जवाब देने का आदेश दिया गया है।
वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर प्रश्न
यह घटना क्षेत्र में वन्यजीव सुरक्षा की लचर व्यवस्था को भी उजागर करती है। अहियाटिकुर बीट में बाघों की लगातार आवाजाही के बावजूद, क्षेत्र में कैमरा ट्रैप नहीं लगे हैं और गश्त की व्यवस्था भी अपर्याप्त है। स्थानीय लोगों और वन्यजीव प्रेमियों ने विभाग की संदिग्ध भूमिका पर सवाल उठाते हुए बाघों के शिकार और अवैध गतिविधियों में मिलीभगत की आशंका जताई है। वन्यजीव प्रेमियों ने इस पूरे मामले की गहन सीबीआई या उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे ने भी डीएफओ अधर गुप्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। विधायक ने उन पर ड्यूटी के दौरान शराब पीने, वन अपराधियों से मिलीभगत करने और पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों की मौत के मामलों में कार्रवाई की जगह फाइलें दबाई जाती हैं और सबूत मिटा दिए जाते हैं।