MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश के IAS-IPS अफसरों पर संपत्ति छिपाने और बीजेपी कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने सड़कों की हालत, सिंहस्थ भ्रष्टाचार और रोजगार पर भी सरकार को घेरा।
By: Ajay Tiwari
Jul 18, 2025just now
भोपाल, स्टार समाचार वेब.
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शुक्रवार को प्रदेश के IAS और IPS अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पटवारी ने दावा किया कि कांग्रेस इन अधिकारियों की वैध और अवैध संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है। उन्होंने मीडिया के सामने संविधान की किताब दिखाते हुए कहा कि संविधान की शपथ लेने वाले ये अधिकारी अब बीजेपी कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं।
पटवारी ने प्रदेश की सड़कों की बदहाल स्थिति पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि "सरकार को गड्ढों में डूबकर मर जाना चाहिए। मंत्रियों को जल समाधि ले लेनी चाहिए या फिर स्थायी समाधान खोजना चाहिए।" उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री जनता का पैसा लूट रहे हैं और सड़कों की खराब हालत पर जवाबदेही स्वीकार करने के बजाय कह रहे हैं कि सड़कें हैं तो गड्ढे होते रहेंगे। पटवारी ने कहा कि एक भी मंत्री ऐसा नहीं है जो लूट के काम में शामिल न हो।
जीतू पटवारी ने जानकारी दी कि विधानसभा सत्र से पहले कांग्रेस का दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में एमपी सरकार के 52 कथित घोटालों पर विस्तार से चर्चा होगी और उन्हें विधानसभा में प्रभावी ढंग से उठाने की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने सिंहस्थ मेले के लिए किए जा रहे कार्यों में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चहेती हैदराबाद और गुजरात की कंपनियों को सीधा टेंडर देने की योजना बना रही है।
पीसीसी चीफ ने वर्ष 2013 से अब तक दिए गए रोजगारों का मामला विधानसभा में उठाने की बात कही। उन्होंने घोषणा की कि कांग्रेस रोजगार और भ्रष्टाचार पर एक श्वेत पत्र (White Paper) लाएगी और सरकार से भी इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की। पटवारी ने इन्वेस्टर समिट का श्वेत पत्र जारी करने की भी मांग की।
पटवारी ने आरोप लगाया कि कलेक्टरों की भाषा-शैली एक अच्छे जनसेवक जैसी नहीं रह गई है। उन्होंने अशोकनगर कलेक्टर और एसपी के खिलाफ दर्ज हुई FIR के मामले में पारदर्शिता न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सभी विधायक इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा, पटवारी ने बच्चों को समय पर छात्रवृत्ति न मिलने, आदिवासियों की एक लाख हेक्टेयर ज़मीन गैर-आदिवासियों को बेचे जाने, 'नल से जल' योजना में भ्रष्टाचार (नल से भ्रष्टाचार), और स्मार्ट मीटर को वसूली का ज़रिया बताए जाने जैसे कई अन्य मुद्दों पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने बीजेपी नेताओं की संपत्ति की जाँच की मांग करते हुए कहा कि अगर ऐसा हो जाए तो 80% लोग जेल चले जाएंगे।