मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की नई प्रमोशन पॉलिसी में आरक्षण के प्रावधान पर लगाई रोक। सपाक्स संघ की याचिका पर 15 जुलाई को अगली सुनवाई। जानें 2016 से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया पर क्या होगा असर।
By: Ajay Tiwari
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जबलपुर. स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की हाल ही में जारी की गई नई प्रमोशन नीति (पदोन्नति नीति) में दिए गए आरक्षण के प्रावधान पर फिलहाल रोक (क्रियान्वन) लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब तक मामले की अगली सुनवाई नहीं होती, तब तक राज्य सरकार नए नियमों के तहत पदोन्नति में आरक्षण लागू नहीं कर सकेगी। यह महत्वपूर्ण आदेश सोमवार (7 जुलाई 2025) को सपाक्स संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है आरक्षण का मामला: याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने कोर्ट में दलील पेश करते हुए बताया कि पदोन्नति में आरक्षण से जुड़ा मूल मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में, राज्य सरकार को नई नीति के तहत आरक्षण लागू करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन होगा। हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की गई है।
9 साल बाद बनी थी नई प्रमोशन नीति, सपाक्स ने दी चुनौती
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने जून 2025 में, लगभग 9 साल के लंबे अंतराल के बाद, अपनी नई प्रमोशन पॉलिसी लागू की थी। इस नीति में पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान भी जोड़ा गया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया। सपाक्स संघ (सामान्य, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण समाज) ने इस नीति को हाईकोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह नई नीति संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है और इसका कोई उचित औचित्य नहीं है।
सरकार ने मांगा था समय, कोर्ट ने स्पष्ट किया स्टे
सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट पहले इस नियम पर सीधा स्थगन आदेश (स्टे) देने के पक्ष में दिख रहा था। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार फिलहाल इस नियम को लागू नहीं करेगी और उन्हें इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए। इसके बावजूद, कोर्ट ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई भी पदोन्नति आरक्षण के आधार पर नहीं की जाएगी, जिससे सरकार के लिए नई नीति लागू करना फिलहाल संभव नहीं होगा।
2016 से रुकी है पदोन्नति प्रक्रिया
यह भी उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति की प्रक्रिया साल 2016 से रुकी हुई है। इसकी मुख्य वजह यह थी कि उस समय भी पदोन्नति में आरक्षण का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था। राज्य सरकार ने उस दौरान एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी, जिसके परिणामस्वरूप पदोन्नति पर रोक लग गई थी। अब 9 साल बाद बनी नई नीति पर भी कोर्ट की रोक लग जाने से कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।

मध्यप्रदेश नई उमंग, नई तरंग और नई उड़ानों के लिए पूरी तरह से तैयार है, और विरासत से विकास की इस यात्रा को सभी के सामूहिक प्रयास से साकार किया जाएगा। बीते दो वर्षों में राज्य ने असंभव माने जाने वाले अनेक विकास कार्यों को पूरा किया है।
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