मध्य प्रदेश OBC 27% आरक्षण केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई, अगली तारीख नवंबर के पहले हफ्ते में। जानें हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश, 87:13 फॉर्मूला की स्थिति और कमलनाथ का सरकार पर आरोप।
By: Ajay Tiwari
Oct 09, 2025just now
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हाइलाइट्स
भोपाल/ नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब.
मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने से जुड़े महत्वपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार, 9 अक्टूबर) एक बार फिर सुनवाई टल गई। यह आरक्षण कमलनाथ सरकार द्वारा लाए गए कानून से संबंधित है।
केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से इस मामले में और समय देने की मांग की। मेहता ने तर्क दिया कि इसमें कई तकनीकी पक्ष हैं, जिन्हें पूरी तरह से समझने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह मांग स्वीकार कर ली, और अब इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर के पहले सप्ताह में होगी।
बुधवार को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पुन: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भेजने का संकेत दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चूंकि हाई कोर्ट का कोई अंतिम फैसला नहीं है, इसलिए अंतरिम आदेश को रद्द (vacate) करते हुए मामले को वापस हाई कोर्ट भेजा जा सकता है। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि हाई कोर्ट को राज्य की जनसांख्यिकी (Demography), स्थलाकृति (Topography) और इस मसले से जुड़े सभी पहलुओं की बेहतर जानकारी है।
ओबीसी आरक्षण मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है, तो सरकार बार-बार वक्त क्यों मांग रही है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में नहीं पहुंच रही है और यह साफ दर्शाता है कि मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ओबीसी समाज को 27% आरक्षण देना ही नहीं चाहती।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में निम्नलिखित प्रमुख अंतरिम आदेश दिए थे:
आरक्षण बढ़ाने पर रोक (Stay): 2019 में जब ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय लिया गया था, तब हाई कोर्ट ने आरक्षण वृद्धि पर अस्थाई रोक लगा दी थी, क्योंकि कुल आरक्षण 50% की सीमा से अधिक हो रहा था।
87:13 फॉर्मूले की अस्वीकृति: हाई कोर्ट ने 87:13 फॉर्मूले (जिसके तहत 13% सीटों को होल्ड पर रखा गया था) को अन्यायसंगत मानते हुए खारिज कर दिया था।
भर्ती प्रक्रिया का निर्देश: हाई कोर्ट ने रुकी हुई भर्तियों को आगे बढ़ाने और 13% अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण को भर्ती प्रक्रियाओं में लागू करने का निर्देश दिया था, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय नहीं हो जाता।
संवैधानिक अवरोध नहीं: हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि 27% आरक्षण लागू करना संविधान सम्मत हो सकता है, बशर्ते यह 50% की आरक्षण सीमा, न्यायिक सिद्धांतों और क्रीमी लेयर की अवधारणा का पालन करे।
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