जानें 13 नवंबर 2025 (गुरुवार) का विस्तृत पंचांग, जिसमें तिथि (नवमी), नक्षत्र (पूर्वाफाल्गुनी), सूर्योदय, सूर्यास्त और राहुकाल का समय शामिल है। शुभ-अशुभ मुहूर्त और बृहस्पति पूजा का महत्व।
By: Ajay Tiwari
Nov 13, 20251:00 AM
धर्म डेस्क. स्टार समाचार वेब
हर दिन की शुरुआत से पहले, पंचांग जानना अत्यंत आवश्यक होता है। यह एक हिंदू कैलेंडर है जो दिन की तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण जैसी पांच मुख्य विशेषताओं का सटीक विवरण देता है। 13 नवंबर 2025, गुरुवार का दिन, भारतीय समयानुसार, मार्गशीर्ष (पूर्णिमांत) / कार्तिक (अमांत) मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के संयोग में रहेगा। इस दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति की उपासना विशेष रूप से शुभफलदायी मानी जाती है।
तिथि: कृष्ण पक्ष नवमी (रात्रि 11:33 बजे तक), इसके उपरांत दशमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
वार: गुरुवार (बृहस्पतिवार)।
नक्षत्र: मघा (शाम 07:38 बजे तक), इसके बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र।
योग: ब्रह्म (प्रातः 06:58 बजे तक), इसके बाद इन्द्र योग।
करण: तैतिल (सुबह 11:10 बजे तक), इसके बाद गरजा करण (रात्रि 11:33 बजे तक)।
विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
मास: कार्तिक (अमांत) / मार्गशीर्ष (पूर्णिमांत)
ऋतु: हेमंत
सूर्योदय: प्रातः 06:42 बजे
सूर्यास्त: शाम 05:28 बजे
चंद्र राशि: सिंह
चंद्रोदय: रात्रि 01:20 बजे (14 नवंबर)
चंद्रास्त: दोपहर 01:41 बजे
किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है, वहीं अशुभ काल जैसे राहुकाल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
| मुहूर्त का नाम | समय अवधि | प्रकृति |
| शुभ मुहूर्त | ||
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक | सबसे शुभ - हर प्रकार के शुभ कार्य के लिए उत्तम। |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक | विजय प्राप्त करने वाले कार्यों के लिए उत्तम। |
| अमृत काल | शाम 05:08 बजे से शाम 06:48 बजे तक | विशेष शुभ कार्यों के लिए उत्तम। |
| अशुभ मुहूर्त | ||
| राहुकाल | दोपहर 01:26 बजे से दोपहर 02:47 बजे तक | अशुभ - इस समय में कोई भी शुभ कार्य आरंभ न करें। |
| यमगंड | प्रातः 06:42 बजे से सुबह 08:03 बजे तक | अशुभ, यात्रा और महत्वपूर्ण कार्यों से बचें। |
| गुलिक काल | सुबह 09:24 बजे से सुबह 10:44 बजे तक | शुभ कार्यों से बचें। |
| दुर्मुहूर्त | सुबह 10:17 बजे से सुबह 11:00 बजे तक और दोपहर 02:36 बजे से दोपहर 03:19 बजे तक | अशुभ। |
दिशाशूल: दक्षिण दिशा में रहेगा।
परिहार: यदि इस दिन दक्षिण दिशा में यात्रा आवश्यक हो, तो घर से निकलने से पहले थोड़ा दही खाकर निकलना शुभ माना जाता है।
यह गुरुवार का दिन है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा, पीली वस्तुओं का दान (जैसे चना दाल, हल्दी, पीले वस्त्र) और विद्या से संबंधित कार्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन पितृ तर्पण, दान और ध्यान साधना के लिए भी विशेष फलदायी है, जिससे पारिवारिक सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।