14 नवंबर 2025 (शुक्रवार) का विस्तृत पंचांग जानें। तिथि (दशमी), नक्षत्र (पूर्वा फाल्गुनी), शुभ-अभिजीत और अशुभ राहुकाल का समय, सूर्योदय, सूर्यास्त, और आज के दिन की धार्मिक विशेषताएँ।
By: Star News
Nov 14, 20251:04 AM
धर्म डेस्क. स्टार समाचार वेब
विक्रम संवत 2082 के कालयुक्त नामक संवत्सर में, मार्गशीर्ष माह (पूर्णिमांत) के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को, 14 नवंबर 2025, शुक्रवार के दिन का पंचांग यहाँ दिया गया है। हिंदू धर्म में पंचांग का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर किसी भी शुभ कार्य को करने का सही समय बताता है।
| विवरण | मान | अवधि/समय |
| तिथि | कृष्ण पक्ष दशमी | 14 नवंबर को देर रात 12:49 AM (15 नवंबर) तक, उसके बाद एकादशी |
| दिन (वार) | शुक्रवार | |
| नक्षत्र | पूर्वा फाल्गुनी | रात 09:20 PM तक, उसके बाद उत्तरा फाल्गुनी |
| योग | वैधृति | अगले दिन भोर 06:26 AM (15 नवंबर) तक, उसके बाद विष्कुम्भ |
| करण | वणिज | दोपहर 12:07 PM तक |
| विष्टि (भद्रा) | दोपहर 12:07 PM से देर रात 12:49 AM (15 नवंबर) तक | |
| मास | मार्गशीर्ष (पूर्णिमांत) | |
| पक्ष | कृष्ण पक्ष | |
| संवत्सर | विक्रम संवत 2082, कालयुक्त | |
| शक संवत | 1947, विश्वावसु | |
| ऋतु | हेमंत |
| विवरण | समय |
| सूर्योदय | प्रातः 06:42 AM |
| सूर्यास्त | सायं 05:27 PM |
| चंद्र राशि | सिंह (Leo) |
| चंद्रोदय | अगले दिन भोर 02:15 AM (15 नवंबर) |
| चंद्रास्त | दोपहर 02:09 PM |
शुभ और अशुभ समय का ज्ञान किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 AM से 12:27 PM तक
अभिजीत मुहूर्त दिन का सबसे शुभ समय होता है, जिसमें किए गए कार्य सफल होते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त: भोर 04:57 AM से 05:50 AM तक
अमृत काल: दोपहर 02:29 PM से 04:12 PM तक
राहुकाल: प्रातः 10:45 AM से 12:05 PM तक
राहुकाल के दौरान कोई भी नया या शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
गुलिक काल: प्रातः 08:04 AM से 09:24 AM तक
यमगण्ड: दोपहर 02:47 PM से 04:07 PM तक
दुर्मुहूर्त: सुबह 08:52 AM से 09:35 AM तक और फिर दोपहर 12:27 PM से 01:10 PM तक
भद्रा: भद्रा का वास दोपहर 12:07 PM से देर रात 12:49 AM (15 नवंबर) तक रहेगा।
14 नवंबर को बाल दिवस (Children's Day) भी मनाया जाता है, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है।
धार्मिक दृष्टि से, यह कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि है, जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए उत्तम मानी जाती है, विशेषकर यह शुक्रवार का दिन भी है।
उत्पन्ना एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 15 नवंबर को रखा जाएगा, लेकिन इसकी तैयारी 14 नवंबर से शुरू हो जाती है।