सतना में सिक्कों का संकट गहराया। दुकानदारों के बाद अब पुलिस ने भी 10-10 रुपए के सिक्के लेकर जुर्माना स्वीकार करने से इंकार कर दिया। जबकि रिजर्व बैंक और सरकार ने सिक्कों के चलन पर रोक नहीं लगाई है। जनता परेशान, प्रशासन मौन।
By: Star News
Sep 10, 20253:42 PM
हाइलाइट्स:
सतना, स्टार समाचार वेब
शहर में इन दिनों छोटे नोट और सिक्के को लेकर अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है। सतना में दुकानदारों ने चिल्लर लेना पहले ही बंद कर दिया था अब सरकारी संस्थाएं भी रिजर्व बैंक द्वारा चलाई जा रही मुद्राएं स्वीकार करने से इंकार कर रही हैं। पुलिस महकमे द्वारा चालानी कार्रवाई के दौरान लगाई गई जुर्माना राशि को चिल्लर की शक्ल में लेने से इंकार कर दिया। हेलेमेट के लिए की गई कार्रवाई में बंधे नोट न दे पाने के कारण बाइक को अब थाने में खड़ा करा लिया गया है। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार टिकुरिया टोला निवासी अनिल कचेर उर्फ आयुष अपनी बाइक क्रमांक एमपी 19 जेडसी 7659 से कोठी रोड में अपने मामा से मिलने जा रहा था। उसी दौरान सिविल लाइन में लगी वाहन चेकिंग के दौरान आयुष को रोका गया और हेलमेट न होने पर जुर्माना लगाया गया। इसी दौरान तैनात पुलिसकर्मी ने उसे 300 रूपए जुर्माना अदा करने के लिए कहा जिसे चुकाने के लिए आयुष ने अपने पास मौजूद 10 रूपए के 30 सिक्के निकाले लेकिन पुलिसकर्मियों ने यह कहकर सिक्के लेने से इंकार कर दिए कि वे चिल्लर स्वीकार नहीं करेंगे। सवाल यह है कि जब रिजर्व बैंक व भारत सरकार ने इन सिक्कों का चलन शुरू किया है तो कोई चिल्लर लेने देने में आनाकानी कैसे कर सकता है?
आसपास के जिलों में धड़ल्ले से चल रहे सिक्के
बेशक सरकार ने 1, 2, 5व 10 के सिक्के बंद न किए हों लेकिन सतना में सिक्के लेने से परहेज किया जाता है। 5 व 10 के सिक्के तो कारोबारी स्वीकार भी कर लेते हैं लेकिन 1 व 2 रूपए के सिक्के सतना में चलन से ही बाहर कर दिए गए हैं , जबकि बड़े व्यापारी तो 5 व 10 के सिक्के लेने से भी इंकार कर देते हैं। इससे उपभोक्ताओं को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। या तो उन्हें राउंड फिगर में खरीदी के लिए बाध्य होना पड़ता है या फिर चिल्लर पैसे छोड़ने पड़ते हैं। विडंबना की बात है जबलपुर, कटनी, विदिशा, भोपाल, इंदौर जैसे प्रदेश के अन्य शहरों में हर प्रकार के वे सिक्के जिन्हें सरकार चला रही है, उनका उपयोग हो रहा है , मगर सतना में चिल्लरों के उपयोग को लेकर न प्रशासनिक संजीदगी दिखाई जा रही है और न ही भारतीय मुद्रा के हो रहे खुले अपमान पर प्रशासन कोई कदम उठाने को तैयार है।