सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई 2025 को कहा कि नफरत फैलाने वाला भाषण बोलने की आजादी नहीं। वजाहत खान के मामले में यह टिप्पणी आई, जिन पर हिंदुओं के खिलाफ हेट स्पीच के आरोप हैं। जानें कोर्ट का अहम फैसला और मामले की पूरी जानकारी।
By: Star News
Jul 14, 20254 hours ago
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
सुप्रीम कोर्ट ने आज, सोमवार, 14 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि नफरत फैलाने वाले भाषण (हेट स्पीच) को बोलने की आजादी का हिस्सा नहीं माना जा सकता है। यह बात सर्वोच्च न्यायालय ने वजाहत खान से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कही। वजाहत खान पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे पोस्ट करने का आरोप है, जिसके चलते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं।
मामले की पृष्ठभूमि:
वजाहत खान वही व्यक्ति हैं जिन्होंने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार करवाया था। पनोली ने पहलगाम में हुई हत्याओं पर कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी की थी। अब स्वयं वजाहत खान के खिलाफ ही नफरत फैलाने वाले पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज हुई हैं।
जस्टिस के. वी. विश्वनाथन और जस्टिस कोटिश्वर सिंह की बेंच ने वजाहत खान के इस मामले में चार राज्यों की पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने से फिलहाल रोक दिया है। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वजाहत खान द्वारा किए गए पोस्ट 'बोलने की आजादी' के दायरे में नहीं आते हैं।
वजाहत खान का पक्ष और कोर्ट की टिप्पणी:
वजाहत खान के वकील डी. एस. नायडू ने बेंच को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ ये एफआईआर बदले की भावना से दर्ज की गई हैं, क्योंकि उन्होंने ही पश्चिम बंगाल पुलिस में शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद पनोली को गिरफ्तार किया गया था। नायडू ने यह भी बताया कि खान ने ये कमेंट 2023 में किए थे, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया था। उन्होंने 'हिंदू भाइयों और बहनों' से माफी मांगते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला इतना आसान नहीं है और वजाहत खान के ये सभी कमेंट स्पष्ट रूप से नफरत फैलाने वाले हैं।