गाजा में इस्राइली हवाई हमलों में 28 फलस्तीनियों की मौत हुई है, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। आईडीएफ ने दावा किया है कि उसने 250 से अधिक हमास ठिकानों को निशाना बनाया।
By: Sandeep malviya
Jul 12, 202515 hours ago
दीर अल-बलाह। गाजा में इस्राइली हवाई हमलों में 28 फलस्तीनियों की मौत हुई है, जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। आईडीएफ ने दावा किया है कि उसने 250 से अधिक हमास ठिकानों को निशाना बनाया। युद्ध में अब तक 57 हजार से ज्यादा फलस्तीनियों की जान जा चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए संघर्षविराम समझौते के करीब होने का दावा किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
अल-अक्सा शहीद अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि मध्य गाजा के दीर अल-बलाह इलाके में इस्राइली हवाई हमलों के बाद मरने वालों में बच्चे और दो महिलाएं भी शामिल हैं। शुक्रवार रात से शुरू हुए इन हमलों में यहां 13 लोगों की जान गई। वहीं, नासेर अस्पताल ने बतााय कि एक पेट्रोल पंप के पास हुए हमलों में चार और लोगों की मौत हुई। दक्षिणी गाजा के खान यूनिस में इस्राइली हमलों में 15 अन्य लोगों की जान गई।
इस्राइली सेना ने एक बयान में कहा कि पिछले 48 घंटों में गाजा पट्टी में करीब 250 ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनमें हमासे के लड़ाके, विस्फोटकों से भरी इमारतें, हथियारों के गोदाम, एंटी-टैंक मिसाइल लॉन्च पॉइंट, स्नाइपर पोजिशन, सुरंगें और अन्य ढांचे शामिल हैं। हालांकि, आम नागरिकों की मौत को लेकर सेना ने एसोसिएटेड प्रेस के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
अक्तूबर 2023 में किया था हमास ने इस्राइल पर हमला
हमास के नेतृत्व वाले लड़ाकों ने सात अक्तूबर 2023 को इस्राइल पर हमले किए थे, जिनमें करीब 1200 लोगों की मौत हो गई थी और ढाई सौ से अधिक को बंधक बना लिया गायथा। अभी भी करीब पचास बंधक हमास के कब्जे में हैं, जिनमें से आधे से कम के जीवित होने की आशंका है। बाकी बंधकों को संघर्षविराम या अन्य समझौतों के तहत रिहा किया जा चुका है।
युद्ध में 57 हजार से अधिक फलस्तीनियों की मौत
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस्राइली कार्रवाई में अब तक 57 हजार से अधिक फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें आधे से अधिक महिलाएं और बच्चे हैं। यह मंत्रालय हमास के नियंत्रण वाली गाजा सरकार के तहत काम करता है और यह नागरिकों व लड़ाकों के बीच अंतर नहीं करता है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इसके आंकड़ों को युद्ध में हताहतों के सबसे भरोसेमंद स्रोतों में से एक मानती हैं।