अमेरिका ने क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल समेत शीर्ष नेताओं पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप में कई प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका की ओर से क्यूबा को लेकर लिया गया ये एक्शन 2021 के विरोध प्रदर्शनों की बरसी पर उठाए गया है। इस कदम में वीजा प्रतिबंध भी शामिल है।
By: Sandeep malviya
Jul 12, 202515 hours ago
वाशिंगटन। अमेरिका ने क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल और अन्य शीर्ष नेताओं व कई अधिकारियों पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप में प्रतिबंध लगा दिए हैं। साथ ही, अमेरिका ने इन नेताओं की वीजा तक पहुंच भी सीमित कर दी है। यह कदम जुलाई 2021 में हुए क्यूबा के बड़े विरोध प्रदर्शनों की वर्षगांठ पर उठाया गया है।
बता दें कि जुलाई 2021 में क्यूबा के कई शहरों में बिजली कटौती, भोजन की कमी और आर्थिक संकट को लेकर आम लोगों ने सड़क पर उतरकर विरोध किया था। यह प्रदर्शन किसी विपक्षी पार्टी के नेतृत्व में नहीं, बल्कि स्वतंत्र रूप से शुरू हुए थे। इन प्रदर्शनों को सरकार ने सख्ती से दबा दिया, जिसमें सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी हुई। एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हुई थी।
मार्को रुबियो ने किया प्रतिबंध का एलान
मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि हम उन न्यायिक और जेल अधिकारियों पर भी वीजा प्रतिबंध लगा रहे हैं, जो जुलाई 2021 के प्रदर्शनकारियों की अन्यायपूर्ण हिरासत और यातना में शामिल या सहायक रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका, क्यूबा के लोगों के मानवाधिकार और स्वतंत्रता के लिए खड़ा है और वह यह स्पष्ट करना चाहता है कि तानाशाही शासन को इस क्षेत्र में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
किन किन अधिकारियों पर लगा प्रतिबंध ?
अब बात अगर अधिकारियों पर लगे प्रतिबंध की करें तो, विदेश मंत्री मार्को रुबियो के अनुसार क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल, रक्षा मंत्री आल्वारो लोपेज मिएरा और गृह मंत्री लाजारो अल्वारेज कासास पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन तीनों पर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
क्यूबा ने की अमेरिका की निंदा
वहीं दूसरी ओर अमेरिका के इस कदम को लेकर क्यूबा के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया भी दी है। क्यूबा विदेश मंत्रालय में अमेरिकी विभाग की डिप्टी डायरेक्टर जोहाना टब्लादा ने अमेरिकी कदम की निंदा करते हुए रुबियो को नरसंहार, जेलों और सामूहिक निर्वासन का समर्थक बताया। गौरतलब है कि क्यूबा के अभियोजकों ने 2022 में बताया था कि 790 लोगों की जांच की जा रही है। मानवाधिकार समूह 11ख के अनुसार, 2023 के अंत तक 554 लोग इन प्रदर्शनों के मामले में सजा काट रहे थे। हालांकि पोप फ्रांसिस की अपील पर जनवरी में कुछ को सशर्त रिहाई दी गई।