रायसेन। लगभग 8 ट्रालियों से भरकर ग्रामीण कलेक्टर के जनता दरबार में पहुंचे और अपनी समस्या सुनाई। वहीं उन्होंने आवेदन देकर बताया कि ग्राम चिलवाहा, बड़कुई, घटाकझार, महुआखेडा, गुटास्वाडी, नयापुरा ग्राम आदि के लोग जनता दरबार में पहुंचे। ग्रामीण जनों ने बताया कि ग्राम पंचायत चिलवाह के अन्तर्गत आने वाले बडकुई महुआखेडा, मुरार, नयापुरा ग्राम चिलवाहा में 2 वर्षों से रोड निर्माण स्वीकृत पड़ा हुआ है। लेकिन अभी तक रोड निर्माण नहीं किया गया है आर. ई. एस. विभाग द्वारा इस पर कोई कार्यवाही निर्माण कराये जाने हेतु नहीं की जा रही। बारिस के मौसम में लोगों को एवं वाहनों को निकाले जाने में काफी परेशानियां हो रही है और कई बार तो महिलाओं की आने जाने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है इलाज के दौरान मौत से जूझना पड़ रहा है।
कार्यपालन यंत्री से लेकर इंजीनियर एसडीओ भी ध्यान नहीं दे रहे
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग का कार्य है कि गांव गांव ग्रेवल सड़क सीसी डामर रोड बनाकर एक गांव से दूसरे गांव तक ग्रामीण जन सुगमता के साथ आवागमन कर सके। वहीं छोटे-छोटे रोड़ों का निर्माण विभाग के अंतर्गत किया जाता है जिसमें विधायक सांसद निधि और सहयोग के साथ विकास और निर्माण के कार्य किए जाते हैं। जिसकी पूरी मॉनिटरिंग ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग की होती है लेकिन जिले में तस्वीर कुछ और है। कार्यपालन यंत्री से लेकर इंजीनियर एसडीओ भी ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसका खामियाजा ग्रामीण आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
कई सड़क दलदल में तब्दील
बारिश से पहले विभाग को और अधिकारियों को ग्रेवल सड़कों का निर्माण ठेकेदारों से जिम्मेदारी के साथ पूर्ण करना था लेकिन उन्होंने लापरवाही करते हुए अभी तक कई सड़क दलदल में तब्दील हुई दिखाई दे रही हैं। बतादें कि रायसेन तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत ब्यावरा वनगबा पेमेंत में ऐसी कई सड़के हैं जिसमें वहां के ग्रामीण जन परेशान हो रहे हैं जिसको लेकर कई बार शिकवा शिकायत भी की गई लेकिन ग्रामीण यंत्री की सेवा विभाग के कार्यपालन यंत्री शरद तंतुवाय द्वारा कोई कार्यवाही ठेकेदार के खिलाफ नहीं की गई है। वहीं अब एक और नया मामला सामने आया है जिसमें ग्राम पंचायत चिलवाह के आसपास के गांव को जोड़ने वाली सड़क स्वीकृत हो गई और 2 साल से अभी तक नहीं बनी है।
लापरवाह अधिकारी और कर्मचारी शामिल
कारण है कि रोड वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने के कारण रुक गई जब वन विभाग से इस मामले में जानकारी ली गई तो उन्होंने आरई एस विभाग को जिम्मेदार ठहराया और बताया कि विभाग के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा वन मंडल कार्यालय ओब्दुल्लागंज को उक्त सड़क के कागजी कार्रवाई को पूर्ण नहीं किया गया है वन विभाग इस सड़क को परमिशन देने के लिए तैयार है। कहीं ना कहीं इस पूरे घटनाक्रम में आईस विभाग के लापरवाह अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। जिन पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की जाना चाहिए। विभाग द्वारा अभी तक कागजी कार्रवाई पूरी नहीं की गई। वहीं वन विभाग के अंतर्गत आने वाली सड़क को ऑनलाइन डीएफओ कार्यालय पर जानकारी प्रेषित करना थी लेकिन विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती जिसका खामियाजा ग्राम पंचायत के अनेको ग्रामीण जन भुगत रहे हैं।
5.50 की राशि पड़ी हुई है स्वीकृत:-
उक्त संबंध में जानकारी लेने पर पता चला है कि रोड निर्माण को रोकने का कारण है कि उक्त रास्ते पर वन विभाग द्वारा निर्माण नहीं हो पा रहा है जिसका 5.50 का स्वीकृत है। जिसके कारण यह कि, अगर उक्त स्वीकृत रोड निर्माण किया जाता है तो सभी गांव वालों को सुविधा मिल जायेगी। और आसानी हो जावेगी। इस मामले को शीघ्र संज्ञान में नहीं लिया गया तो रोड निर्माण कार्य शुरू नहीं कराया जाता है तो हम अगली जनसुनवाई में चक्का जाम करने हेतु बाध्य रहेगे। जिसकी जबाबदारी शासन प्रशासन की होगी। वही इस संबंध में जब ग्रामीण यांत्रिकी की सेवा विभाग के कार्यपालन यंत्री शरद तंतुवाय से स्वयं जाकर एवं दूरभाष के माध्यम से भी संपर्क करना चाहा तो उन्होंने टाला मटोली करते हुए मिलने के लिए भी समय नहीं दिया और फोन पर भी फोन रिसीव भी करना मोनासीब नहीं समझा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने लापरवाह कार्यपालन यंत्री इस जिले में बैठे हैं।
इनका कहना:
आप जिस पंचायत का मामला बता रहे हैं अगर वह भूमि वन विभाग की आ रही है तो इसमें आरईस विभाग की गलती है उन्हें पहले वन विभाग से परमिशन लेना चाहिए था ना की रोड स्वीकृत करना था। इसमें जिला पंचायत का कोई भी मामला नहीं है पूर्ण जिम्मेदारी आरईएस विभाग की है।
अंजू पवन भदोरिया जिला पंचायत सीईओ रायसेन।
इस सड़क में फॉरेस्ट एरिया लगा हुआ है आरईस विभाग द्वारा कागजी कार्रवाई को ऑनलाइन करना थी उसमें कुछ कमियां पाई गई थी जिन्हें उन्होंने अभी तक पूरा नहीं करा है अगर वह पूर्ण कर देंगे तो स्वीकृति मिल सकेगी। जिसकी परमिशन ओब्दुल्लागंज वन मंडल विभाग द्वारा प्रदान की जाती है।
शशांक तिवारी चिलवाहा रेंजर।