चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के बीच हुए आकस समझौते की आलोचना की है। बीजिंग ने कहा कि यह परमाणु प्रसार और हथियारों की दौड़ को बढ़ाएगा। इस समझौते के तहत आॅस्ट्रेलिया को अमेरिकी तकनीक से परमाणु पनडुब्बियां बनाने में मदद मिलेगी।
By: Sandeep malviya
Oct 21, 20258:32 PM
बीजिंग। चीन ने मंगलवार को अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के बीच हुए बड़े रक्षा समझौते यानी आकस समझौते पर तीखी प्रतिक्रिया दी। चीन ने कहा कि यह समझौता एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य तनाव और परमाणु प्रसार के खतरे को बढ़ाएगा। इसके साथ ही इस कदम को ब्लॉक राजनीति और हथियारों की दौड़ को बढ़ावा देने वाला करार दिया। आकस समझौता वर्ष 2021 में अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के बीच हुआ था। इसके तहत आस्ट्रेलिया को पहली बार अमेरिकी तकनीक से परमाणु-संचालित पनडुब्बियां बनाने में मदद दी जाएगी। इस समझौते में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर और क्वांटम टेक्नोलॉजी पर भी सहयोग शामिल है। इसे चीन की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए बनाया गया सुरक्षा गठबंधन माना जाता है।
चीन की आपत्ति और बयान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने मंगलवार को कहा कि चीन पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुका है कि हमें इस तरह के त्रिपक्षीय सुरक्षा गठजोड़ों पर कड़ा ऐतराज है। हम किसी भी ऐसे कदम का विरोध करते हैं जो परमाणु प्रसार के जोखिम को बढ़ाए और हथियारों की दौड़ को तेज करे। चीन ने कहा कि आॅकस और क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान, आॅस्ट्रेलिया) जैसी व्यवस्थाएं क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालती हैं।
अमेरिका और आस्ट्रेलिया की नई पहल
लंबे समय तक चली अनिश्चितता के बाद मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ बैठक में आकस परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आस्ट्रेलिया पश्चिमी तट पर अरबों डॉलर की लागत से नौसेना और पनडुब्बी निर्माण सुविधाएं स्थापित करेगा। इन ठिकानों का इस्तेमाल अमेरिकी और ब्रिटिश परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए किया जाएगा। यह क्षेत्र में चीन के प्रभाव को रोकने की रणनीति का हिस्सा है।
दुर्लभ खनिजों पर भी साझेदारी
दोनों देशों ने दुर्लभ खनिजों और रेयर अर्थ मेटल्स पर भी एक नया समझौता किया है। यह समझौता चीन के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए किया गया है, जो दुनिया के करीब 70 प्रतिशत रेयर अर्थ खनन और 90 प्रतिशत प्रोसेसिंग पर नियंत्रण रखता है। अल्बनीज ने कहा कि यह साझेदारी लगभग 8.5 अरब अमेरिकी डॉलर के रेडी-टू-गो प्रोजेक्ट्स को समर्थन देगी, जिससे आस्ट्रेलिया की खनन क्षमता बढ़ेगी। इन खनिजों का उपयोग आधुनिक तकनीक, आटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्र में होता है। चीन ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पश्चिमी देश आर्थिक सहयोग की आड़ में एशिया में सैन्य गुटबंदी बढ़ा रहे हैं।