घूसखोरी थमने का नाम नहीं ले रही है। सरकार आरोपियों पर शिकंजा भी कस रही है, लेकिन कार्रवाई का खौफ कहीं भी नहीं दिख रहा है। दरअसल, बालाघाट जिले के लालबर्रा के नवेगांव के ग्रामीणों के विस्थापन प्रक्रिया में मिली राशि दिलाने के नाम पर वन विभाग के एक बीट गार्ड को जबलपुर ईओडब्ल्यूडी की टीम ने घूस लेते रंगेहाथ दबोचा है।
By: Arvind Mishra
Sep 18, 20252:32 PM
विस्थापन प्रक्रिया में ग्रामीणों को 15-15 लाख मिल रह
बालाघाट। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में घूसखोरी थमने का नाम नहीं ले रही है। रिश्वत के लिए पीड़ितों को परेशान किया जा रहा है। सरकार आरोपियों पर शिकंजा भी कस रही है, लेकिन कार्रवाई का खौफ कहीं भी नहीं दिख रहा है। दरअसल, बालाघाट जिले के लालबर्रा के नवेगांव के ग्रामीणों के विस्थापन प्रक्रिया में मिली राशि दिलाने के नाम पर वन विभाग के एक बीट गार्ड को जबलपुर ईओडब्ल्यूडी की टीम ने घूस लेते रंगेहाथ दबोचा है। गुरुवार को सुबह 11.30 बजे ईओडब्ल्यूडी ने ये कार्रवाई की। इससे हड़कंप मंच गया। टीम ने पश्चिम वन परिक्षेत्र लालबर्रा के बीट गार्ड मत्तम नगपुरे को उस समय ट्रैप किया, जब वह नवेगांव के राजेंद्र धुर्वे के साथ एसबीआई बैंक आया था। वह राजेंद्र से तीन लाख निकालने के लिए आहरण पर्ची भरा रहा था, तभी ईओडब्ल्यूडी की टीम ने उसे बैंक के बाहर पकड़ लिया। ईओडब्ल्यू लालबर्रा के रेस्ट हाउस में आरोपी बीट गार्ड से पूछताछ कर रही है।
वह ग्रामीण से उसे खाते में आई मुआवजा राशि से तीन लाख निकालने का दबाव बना रहा था। गौरतलब है कि बाघ सहित अन्य वन्यप्राणियों के बढ़ते हमलों को देखते हुए सोनेवानी, चिखलाबड्डी और नवेगांव का विस्थापन किया जा रहा है। इन तीनों गांवों के ग्रामीणों को 15-15 लाख प्रति यूनिट के हिसाब से शासन से मुआवजा राशि दी जा रही है।
नवेगांव के जिस राजेन्द्र से बीट गार्ड ने चार लाख की रिश्वत की मांग की थी, उसके परिवार में पांच सदस्यों को 15-15 लाख के हिसाब से 75 लाख रुपए मिलने हैं। इसमें 20 लाख रुपए राजेन्द्र के बैंक खाते में आ चुके हैं। शेष 55 लाख की राशि दिलाने के नाम पर बीट गार्ड ग्रामीण से चार लाख की डिमांड कर रहा था।
आरोपी बीट गार्ड राजेन्द्र से मुआवजा राशि दिलाने के नाम पर चार लाख रुपए की मांग कर रहा था। ये डील 3.5 लाख हुई। बीट गार्ड राजेन्द्र से पहले ही 50 हजार ले चुका था। शेष तीन लाख के लिए वह ग्रामीण के साथ गुरुवार को बैंक पहुंचा था।
मंजीत सिंह, डीएसपी, ईओडब्ल्यूडी, जबलपुर