भारत की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से रटने और परीक्षा पर टिकी हुई थी, लेकिन अब सीबीएसई ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो आने वाली पीढ़ी की सीखने की शैली को पूरी तरह बदल सकता है। सीबीएसई ने साफ कर दिया है कि भविष्य की पढ़ाई केवल किताबों पर नहीं, बल्कि जरूरी जीवन कौशलों पर भी टिकी होगी।
By: Arvind Mishra
Nov 27, 202510:54 AM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से रटने और परीक्षा पर टिकी हुई थी, लेकिन अब सीबीएसई ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो आने वाली पीढ़ी की सीखने की शैली को पूरी तरह बदल सकता है। सीबीएसई ने साफ कर दिया है कि भविष्य की पढ़ाई केवल किताबों पर नहीं, बल्कि जरूरी जीवन कौशलों पर भी टिकी होगी। दरअसल, सीबीएसई ने सभी संबद्ध स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक कौशल शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है। छात्रों को अब वास्तविक जीवन के कौशल सीखने पर ध्यान देना होगा, जैसे पौधों की देखभाल और बुनियादी यांत्रिक कार्य। एनसीईआरटी द्वारा विकसित स्किल बोध श्रृंखला की पुस्तकें लागू की गई हैं, जिसमें छात्रों को विभिन्न कार्य-आधारित परियोजनाएं करनी होंगी। इन कक्षाओं के बच्चे अब सिर्फ किताबों, नोटबुक और एग्जाम तक ही सीमित नहीं रहेंगे।
सीखेंगे असल जिंदगी के काम
सीबीएसई के मुताबिक, बच्चे अब असल जिंदगी के काम सीखेंगे, जैसे पौधों और जानवरों की देखभाल से लेकर बेसिक मैकेनिकल स्किल्स और ह्यूमन सर्विस तक। स्कूलों को अब स्किल-बेस्ड एजुकेशन को मेनस्ट्रीम एजुकेशन का हिस्सा बनाना चाहिए, न कि एक आॅप्शन। बोर्ड ने इस सेमेस्टर में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 के तहत एनसीईआरटी द्वारा डेवलप की गई स्किल बोध सीरीज की किताबों को लागू करना जरूरी कर दिया है। ये किताबें प्रिंट और डिजिटल दोनों फॉर्मेट में उपलब्ध हैं।
सालाना तीन प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे
छात्रों को तीन साल में, यानी ग्रेड 6, 7 और 8 में कुल नौ प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे, जिसमें कुल मिलाकर लगभग 270 घंटे का प्रैक्टिकल काम होगा। इसका मकसद यह है कि स्टूडेंट्स न सिर्फ़ इस आधार पर आगे बढ़ें कि वे क्या पढ़ते हैं, बल्कि इस आधार पर भी कि वे क्या करते हैं और कैसे सीखते हैं। हर साल 110 घंटे (160 पीरियड) सिर्फ कौशल शिक्षा के लिए होंगे। हर हफ्ते लगातार दो पीरियड इस सब्जेक्ट के लिए होंगे। किताब में दिए गए छह प्रोजेक्ट में से, स्कूल अपनी लोकल जरूरतों और रिसोर्स के आधार पर तीन प्रोजेक्ट चुनेंगे।
शिक्षक भी नई स्किल्स सीखेंगे
स्किल्स अवेयरनेस पहल को लागू करने के लिए, सीबीएसई, एनसीईआरटी और पीएसएसआईवीई तीनों मिलकर बड़े पैमाने पर शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। एकेडमिक ईयर के आखिर में स्कूलों में एक स्किल्स फेयर लगाया जाएगा। स्टूडेंट्स अपने प्रोजेक्ट्स, मॉडल्स और एक्सपीरियंस प्रेजेंट करेंगे। यह फेयर स्कूलों के लिए एक नए तरह का सालाना इवेंट होगा।
बच्चों को नंबर भी मिलेंगे
सीबीएसई ने दावा किया है कि पेरेंट्स भी देख सकते हैं कि उनके बच्चे किताबों के अलावा दुनिया के बारे में कितना सीख रहे हैं। स्किल्स एजुकेशन के लिए इवैल्यूएशन भी ट्रेडिशनल नहीं होगा। इसमें रिटन एग्जाम के लिए 10 परसेंट मार्क्स, वाइवा या प्रेजेंटेशन के लिए 30 परसेंट, एक्टिविटी बुक के लिए 30 परसेंट, पोर्टफोलियो के लिए 10 परसेंट और टीचर आॅब्जर्वेशन के लिए 20 परसेंट मार्क्स शामिल होंगे।