सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण गवई ने महाराष्ट्र के दर्यापुर (अमरावती) में न्यायालय की नव-निर्मित भव्य इमारत के उद्घाटन समारोह में शिरकत की। उन्होंने न्यायपालिका, प्रशासन और अधिवक्ता समुदाय को एक बेहद सख्त, लेकिन मूल्यवान संदेश दिया। चीफ जस्टिस गवई ने कहा-यह कुर्सी जनता की सेवा के लिए है, न कि घमंड के लिए।
By: Arvind Mishra
Jul 26, 202513 hours ago
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण गवई ने महाराष्ट्र के दर्यापुर (अमरावती) में न्यायालय की नव-निर्मित भव्य इमारत के उद्घाटन समारोह में शिरकत की। उन्होंने न्यायपालिका, प्रशासन और अधिवक्ता समुदाय को एक बेहद सख्त, लेकिन मूल्यवान संदेश दिया। चीफ जस्टिस गवई ने कहा-यह कुर्सी जनता की सेवा के लिए है, न कि घमंड के लिए। कुर्सी अगर सिर में चढ़ जाए, तो यह सेवा नहीं, बल्कि पाप बन जाती है। उनका यह बयान न्यायपालिका और प्रशासनिक पदों पर बैठे हर व्यक्ति के लिए एक चेतावनी की तरह था। भूषण गवई ने सिर्फ प्रशासनिक अफसरों को ही नहीं, बल्कि न्यायाधीशों और वकीलों को भी उनके व्यवहार के लिए खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा-न्यायाधीशों को वकीलों को सम्मान देना चाहिए। यह अदालत वकील और न्यायाधीश दोनों की है। जूनियर वकीलों को चेतावनी भरे अंदाज में उन्होंने कहा-25 साल का वकील कुर्सी पर बैठा होता है और जब 70 साल का सीनियर आता है, तो उठता भी नहीं। थोड़ी तो शर्म करो! सीनियर का सम्मान करो।
दर्यापुर और अंजनगांव क्षेत्र के लिए यह न्यायिक इमारत एक बड़ी सौगात है। 28.54 करोड़ की लागत से बनी इस नई इमारत में अब दिवाणी (सिविल) और फौजदारी (क्रिमिनल) दोनों तरह के मामलों की सुनवाई की जाएगी। उद्घाटन कार्यक्रम में जजों के साथ-साथ जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी, अधिवक्ता संघ के सदस्य और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित रहे।
सीजेआई का जोर इसी बात पर रहा कि चाहे कोई भी कुर्सी हो- वह जिलाधिकारी की हो, पुलिस अधीक्षक की या न्यायाधीश की हो, सिर्फ और सिर्फ जनसेवा का माध्यम है। उन्होंने दो टूक कहा, कुर्सी सिर में घुस गई, तो न्याय का मोल खत्म हो जाएगा। ये कुर्सी सम्मान की है, इसे घमंड से अपमानित न करें।
सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि मैं मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर होने के बाद कोई भी सरकारी पद स्वीकार नहीं करूंगा। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने अपने भाषण में बचपन की यादों को ताजा करते हुए कहा कि गांव में कई स्थानों पर मिले स्वागत से मैं अभिभूत हूं। उन्होंने आगे कहा कि ये यहां मेरा आखिरी सत्कार (सम्मान) है, क्योंकि इसके बाद मैं सत्कार स्वीकार नहीं करूंगा। दरअसल मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद बीआर गवई पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे थे, जहां ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मुख्य न्यायाधीश से मिलने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। गांव के स्कूली स्टूडेंट्स ने मुख्य न्यायाधीश बीआई गवई का स्वागत सम्मान किया। इस दौरान ग्रामीणों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए।