आज यानी बुधवार को खेल और सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने समन्वय भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जहां सहकारी बैंकों की खराब आर्थिक हालत के लिए कमलनाथ सरकार पर ठीकरा फोड़ते कहा- 15 महीने की कांग्रेस की सरकार में फर्जी किसान कर्जमाफी के कारण को-आपरेटिव बैंकों की हालत खराब हुई है।
By: Arvind Mishra
Dec 24, 20251:48 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
आज यानी बुधवार को खेल और सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने समन्वय भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जहां सहकारी बैंकों की खराब आर्थिक हालत के लिए कमलनाथ सरकार पर ठीकरा फोड़ते कहा- 15 महीने की कांग्रेस की सरकार में फर्जी किसान कर्जमाफी के कारण को-आपरेटिव बैंकों की हालत खराब हुई है। हमारी सरकार बैंकों की स्थिति सुधार रही है। मुख्यमंत्री ने 300 करोड़ सहकारी बैंकों को दिए हैं। वहीं चर्चा के दौरान मंत्री ने दावा किया कि प्रदेश में खाद के वितरण में सहकारी क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यही वजह है कि खाद से जुड़ी नकारात्मक खबरों में सहकारिता का नाम तक नहीं आता।
किसानों तक खाद पहुंचाई जा रही
मंत्री ने कहा-वर्तमान में मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत खाद वितरण सहकारी सेक्टर के माध्यम से किया जा रहा है। प्राथमिक कृषि साख समितियां, जिला सहकारी बैंक और मार्कफेड नेटवर्क के जरिए किसानों तक समय पर खाद पहुंचाई जा रही है। यदि व्यवस्था कमजोर होती, तो सबसे पहले सहकारिता पर सवाल उठते, लेकिन शिकायतें निजी नेटवर्क से जुड़ी सामने आती हैं, सहकारिता से नहीं।
एडवांस स्टोरेज मॉडल
खाद वितरण को सुचारु बनाने में मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ की भूमिका अहम रही है। मार्कफेड ने एडवांस स्टोरेज और प्री-प्लानिंग की व्यवस्था अपनाई है। इससे सीजन में अचानक दबाव नहीं बना। सप्लाई चेन को सरल और तेज किया गया, यही कारण है कि बोवनी और रबी-खरीफ सीजन में किसानों को खाद के लिए भटकना नहीं पड़ा।
सिस्टम फेलियर की स्थिति नहीं
मंत्री ने 2003 और वर्तमान के आंकड़ों की तुलना करते हुए कहा-2003 में खाद की आपूर्ति सीमित थी और खपत भी कम थी। आज खेती का रकबा, उत्पादकता और फसल विविधता बढ़ी है। इसके अनुरूप खाद की सप्लाई और खपत-दोनों में इजाफा हुआ है। इसके बावजूद, प्रदेश में सिस्टम फेलियर जैसी स्थिति नहीं बनी।
सहकारिता का उद्देश्य मुनाफा नहीं
मंत्री ने कहा-खाद वितरण को लेकर जब भी अव्यवस्था या कालाबाजारी की खबरें आती हैं, उनमें एक भी मामला सहकारिता से जुड़ा नहीं होता। यह सहकारी समितियों की पारदर्शिता और जवाबदेही का प्रमाण है। सहकारिता का उद्देश्य मुनाफा नहीं, बल्कि किसान को समय पर और सही दर पर इनपुट उपलब्ध कराना है।
किसान न्याय योजना के संकेत
सहकारिता के भीतर सबसे बड़ा बदलाव डिजिटल और बैंकिंग सिस्टम को लेकर है। अप्रैल से प्रदेश की सभी 4500 पीएसीएस 100 फीसदी कंप्यूटरीकृत होकर कमर्शियल बैंकों जैसी सेवाएं देने लगेंगी। इससे किसानों को लेन-देन, ऋण और भुगतान में पारदर्शिता और गति मिलेगी। मंत्री ने साफ कहा कि सहकारी संस्थाओं में हुए घपलों का असर किसानों पर नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने संकेत दिए कि जल्द ही किसान न्याय योजना लाई जाएगी, ताकि यदि किसी कर्मचारी की गलती या घपला हो, तो उसका नुकसान किसान को न झेलना पड़े।