मध्यप्रदेश में पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री करने वाले डीलरों के लिए अब परिवहन विभाग शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्राधिकार पत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2022 में जारी अधिसूचना के तहत केंद्रीय मोटरयान नियम, 1989 में नियम 55ए से 55एच जोड़े गए हैं।
By: Arvind Mishra
Dec 24, 20252:29 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री करने वाले डीलरों के लिए अब परिवहन विभाग शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्राधिकार पत्र लेना अनिवार्य कर दिया गया है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2022 में जारी अधिसूचना के तहत केंद्रीय मोटरयान नियम, 1989 में नियम 55ए से 55एच जोड़े गए हैं। इन नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के बाद पुराने वाहनों के कारोबार में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। दरअसल, प्रदेश में पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री करने वाले डीलरों के लिए अब नियम सख्त कर दिए गए हैं। प्रदेश भर में बिना पंजीयन के चल रहे पुराने वाहनों के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए परिवहन विभाग ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब किसी भी डीलर को पुराने वाहनों का क्रय-विक्रय करने के लिए प्राधिकार पत्र लेना अनिवार्य होगा। परिवहन विभाग ने सभी आरटीओ को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में सघन जांच करें। नए वाहनों के शोरूम संचालक भी यदि एक्सचेंज में पुरानी गाड़ियां लेते हैं तो उनके लिए भी यह डीलर आथोराइजेशन लेना अनिवार्य होगा।
जनवरी से प्रदेशव्यापी धरपकड़
बिना इस प्रमाण पत्र के व्यापार करने वालों के खिलाफ एक जनवरी 2026 से प्रदेशव्यापी धरपकड़ और कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। नए नियमों के अनुसार, अब वाहन मालिक को अपनी गाड़ी किसी भी अधिकृत डीलर को बेचते समय केंद्रीय मोटरयान नियम के तहत फॉर्म 29 सी भरना होगा। इस फार्म की सूचना आरटीओ को मिलते ही संबंधित डीलर उस वाहन का डीम्ड ओनर बन जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा मूल वाहन मालिक को यह होगा कि गाड़ी हैंडओवर करते ही उसकी तमाम कानूनी जिम्मेदारियां खत्म हो जाएंगी।
सिर्फ 25 हजार में पंजीयन
दस्तावेज अपडेट रखने की जिम्मेदारी भी डीलर की ही होगी। सिर्फ 25 हजार में पंजीयन, शासन को मिलेगी जीएसटी विभाग ने इस प्रक्रिया को बेहद सरल और आनलाइन बनाया है। कोई भी डीलर मात्र 25 हजार का शुल्क जमा कर एनआइसी के माध्यम से वाहन पोर्टल पर अपना पंजीयन करा सकता है। वर्तमान में अधिकांश डीलर बिना पंजीयन के काम कर रहे हैं, जिससे शासन को 18 प्रतिशत जीएसटी का नुकसान हो रहा है।
जीएसटी का भुगतान करना होगा
नए नियम के तहत डीलर को वाहन विक्रय पर होने वाले मुनाफे पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। सड़कों पर दौड़ने के लिए तय किए नियम अधिकृत डीलर डीम्ड ओनर रहते हुए वाहन को केवल सीमित उद्देश्यों के लिए ही सड़क पर चला सकेगा। इसमें संभावित खरीदार को डेमो या ट्रायल देना, मरम्मत के लिए सर्विस सेंटर ले जाना या फिटनेस और पीयूसी प्रमाणपत्र के लिए निरीक्षण केंद्र तक ले जाना शामिल है।