शिक्षा में सुधार और बच्चों की की कोचिंग सेंटरों पर बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन सफलता नहीं मिल रही। साथ ही आए दिन बच्चे पढ़ाई के तनाव में आत्महत्या जैसा जानलेवा कदम उठा रहे हैं।
By: Arvind Mishra
Jun 20, 202523 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार बेव
कोचिंग सेंटरों के चमकते होर्डिंग और बड़े-बड़े इश्तेहार देखकर हर साल हजारों बच्चे छोटे शहरों से बड़े शहरों में पलायन करते हैं। यहां उनसे मोटी फीस ली जाती है। सफलता के झूठे-सच्चे सपने दिखाए जाते हैं। बच्चों के सपने पूरे करने के लिए किसी के मां-बाप जमीन बेच देते हैं तो किसी के कर्जा लेकर उन्हें भेजते हैं, लेकिन साल बीतने के बाद ज्यादातर छात्रों के हाथ निराशा ही लगती है। अब भ्रामक विज्ञापन देने वाले ऐसे कोचिंग सेंटर्स पर सरकार ने नकेल कसने की शुरुआत कर दी है। दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटरों पर निर्भरता कम करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने 11 सदस्यों की एक समिति बनाई है। यह समिति कोचिंग सेंटरों से जुड़ी कई चिंताओं पर विचार करेगी। जैसे कि स्कूलों में कमियां, अच्छे संस्थानों में सीमित सीटें और प्रतियोगी परीक्षाओं का कोचिंग उद्योग पर प्रभाव। समिति कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों और चुनिंदा सफलता की कहानियों को बढ़ावा देने के तरीकों की भी समीक्षा करेगी। केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति हर महीने शिक्षा मंत्री को अपनी रिपोर्ट देगी।
समिति देखेगी कि स्कूलों में क्या कमियां हैं। जिनकी वजह से छात्रों को कोचिंग सेंटरों पर निर्भर रहना पड़ता है। खासकर, स्कूलों में क्रिटिकल थिंकिंग, लॉजिकल रीजनिंग, एनालिटिकल स्किल्स और इनोवेशन पर कम ध्यान दिया जाता है। रटने की प्रथा भी एक बड़ी समस्या है।
समिति डमी स्कूलों के बारे में भी पता लगाएगी। ये स्कूल छात्रों की औपचारिक शिक्षण संस्थानों की औपचारिक शिक्षा छुड़वाकर उसकी कीमत पर फुल-टाइम कोचिंग के लिए प्रोत्साहित करते हैं। समिति यह भी सुझाव देगी कि इन समस्याओं को कैसे कम किया जाए।
समिति छात्रों और परिजनों के बीच जागरूकता की कमी पर भी ध्यान देगी। समिति स्कूलों व कॉलेजों में करियर काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता का मूल्यांकन करेगी। साथ ही मार्गदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सुझाव भी देगी। समिति को कोचिंग से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने और छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम करने का जिम्मा सौंपा है।
समिति को कोचिंग सेंटरों के भ्रामक दावों और चुनिंदा सफलता की कहानियों को बढ़ावा देने जैसी विज्ञापन प्रथाओं की समीक्षा करने का भी काम सौंपा गया है। समिति यह भी देखेगी कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग और अच्छे संस्थानों में सीमित सीटों के कारण छात्र कोचिंग संस्थानों की ओर क्यों भागते हैं।
समिति में सीबीएसई के अध्यक्ष, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कानपुर, एनआईटी त्रिची और एनसीआरटी के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके अलावा, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और निजी स्कूल के तीन प्रिंसिपल भी समिति का हिस्सा होंगे।