इंदौर के समीप पीथमपुर में भोपाल से लाए गए यूनियन कार्बाइट के जहरीले कचरे का सोमवार को तड़के निपटान हो गया है। साढ़े तीन माह में 337 टन कचरे को भस्मक में जलाया जा चुका है। अब जो राख बची है, उसे भी वैज्ञानिक विधि से दफनाया जाएगा।
By: Arvind Mishra
Jun 30, 202544 minutes ago
इंदौर के समीप पीथमपुर में भोपाल से लाए गए यूनियन कार्बाइट के जहरीले कचरे का सोमवार को तड़के निपटान हो गया है। साढ़े तीन माह में 337 टन कचरे को भस्मक में जलाया जा चुका है। अब जो राख बची है, उसे भी वैज्ञानिक विधि से दफनाया जाएगा। अब प्रदूषण विभाग इसकी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करेगा। 337 टन कचरा जलाने के बाद 750 टन राख बची है। जिसे विशेष बैग में भरा गया है। उसे लीक प्रफू स्टोरेज शेड में रखा गया है। उसके लिए जमीन से डेढ़ मीटर ऊंचाई पर एक प्लेटफार्म तैयार किया गया है। अभी बारिश का समय है। राख को चार माह बाद दफनाया किया जाएगा। लैडफील भी कंपनी परिसर में ही बनाया गया है। गौरतलब है कि भोपाल से यूनियन कार्बाइड का कचरा इस वर्ष तीन जनवरी को सुबह चार बजे भोपाल से 12 कंटेनरों में पीथमपुर स्थित रिसस्टेनेबिलिटी कंपनी के भस्मक संयंत्र में पहुंचा था। ट्रायल रन के तहत पहले 30 टन कचरा जलाया गया। उसके बाद कोर्ट के निर्देश पर पांच मई से 307 टन कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू की गई। जबलपुर हाई कोर्ट ने 70 दिन का समय कचरा नष्ट करने के लिए दिया था, लेकिन 55 दिन में कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई।
भस्मक में यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी संयंत्र को बंद नहीं किया जाएगा। भोपाल से यूका के कचरे के साथ वहां की मिट्टी भी लाई गई थी। इसके अलावा जिस पैकिंग बैग में कचरा रखकर लाया गया था, उसे भी नष्ट किया जाना है। इस तरह मिट्टी व पैकिंग मटेरियल का कचरा 21 टन है। इसे तीन जुलाई तक भस्मक संयंत्र में नष्ट किया जाएगा।
28 फरवरी से 12 मार्च : तीन अलग-अलग मात्रा पर 30 टन यूका का कचरा नष्ट किया
5 मई : 307 टन कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया हुई शुरू। 270 किलो प्रतिघंटे की दर से भस्मक संयंत्र में डाला गया कचरा।
29 जून शाम 4 बजे : 2.4 टन कचरे की आखिरी खेप डालने का कार्य शुरू हुआ।
29 जून रात 1.30 बजे : आखिरी 270 किलो का कचरा डाला गया।
30 जून सुबह 4 बजे : 337 टन यूका का कचरा पूर्ण रूप से नष्ट। इसके बाद मिट्टी व अन्य पैकिंग मटेरियल को भस्मक संयंत्र में डालना शुरू किया गया।
सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन के आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, कापर, निकल, कैडमियम, वैनाडियम, एंटीमनी, आर्सेनिक इत्यादि हेवी मेटल की जांच की गई। ये निर्धारित मान सीमा के पाए गए।
चिराखान, तारपुरा, बजरंगपुरा व रिसस्टेनेबिलिटी कंपनी के भस्मक संयंत्र परिसर में वायु गुणवत्ता मापी यंत्र मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगाए थे। इनमें परिवेशी वायु गुणवत्ता निर्धारित मानक सीमा के भीतर पाई गई।
भोपाल गैस त्रासदी का 337 टन कचरा नष्ट करने की प्रक्रिया देर रात पूर्ण कर ली गई। भोपाल में जहां कचरा रखा था, वहां की मिट्टी भी संयंत्र में नष्ट करने के लिए लाई गई है। इसके अलावा लाए गए कचरे के पैकिंग मटेरियल को नष्ट करने की प्रक्रिया तीन जुलाई तक पूरी की जाएगी।
श्रीनिवास द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड