भारत ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से भरी हुई और संकीर्ण बताकर अस्वीकार किया है, जो म्यांमार के हालात पर जारी की गई। इसके साथ ही, भारत ने रिपोर्ट में म्यांमार के विस्थापितों को पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ने के दावे को बेबुनियाद बताया।
By: Sandeep malviya
Oct 29, 20255:37 PM
नई दिल्ली। भारत ने म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में उसके खिलाफ की गई 'पक्षपातपूर्ण और संकीर्ण टिप्पणी' की आलोचना की। साथ ही भारत ने पड़ोसी देश में हिंसा को तत्काल रोकने और समावेशी राजनीतिक संवाद शुरू करने की अपील दोहराई।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में मंगलवार को म्यांमार की स्थिति पर संवाद सत्र आयोजित किया गया था। इस दौरान लोकसभा सांसद दिलीप सैकिया ने भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली उन सभी पहलों का समर्थन करता है, म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र लाने के लिए वहां के लोगों और सरकार के नेतृत्व वाले रास्ते को मजबूत करते हैं।
उन्होंने आगे कहा, हम अपनी इस निरंतर स्थिति को दोहराते हैं कि हिंसा को तत्काल रोका जाए, राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए, मानवीय मदद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और समावेशी राजनीतिक संवाद शुरू किया जाए। संयुक्त राष्ट्र की तीसरी समिति मानवाधिकार और मानवीय मुद्दों से संबंधित मामलों से निपटती है। यह समिति 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट और सेना व प्रतिरोधी बलों के बीच जारी हिंसा के बाद म्यांमार की बिगड़ती स्थिति पर चर्चा कर रही थी।
सैकिया भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी के नेतृत्व में 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा जन-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर दिया है। यूएन की रिपोर्ट में भारत के खिलाफ की गई टिप्पणियों की आलोचना करते हुए सैकिया ने कहा, मैं अपने देश के संबंध में रिपोर्ट में की गई बेबुनियाद और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराता हूं।
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को म्यांमार के विस्थापित लोगों से जोड़ने का दावा पूरी तरह तथ्यहीन है। मेरा देश विशेष प्रतिवेदक की ओर से किए गए इस तरह के पूर्वाग्रह वाले संकीर्ण विश्लेषण को अस्वीकार करता है। भाजपा सांसद ने जोर देकर कहा कि म्यांमार में बिगड़ती सुरक्षा और मानवीय स्थिति भारत के लिए 'गंभीर चिंता' का विषय है, खासकर सीमा पार अपराधों जैसे मादक पदार्थ, हथियार और मानव तस्करी से जुड़े खतरों के कारण। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत ने कुछ विस्थापित लोगों में 'चरमपंथी विचारधारा के बढ़ते स्तर' को देखा है, जिससे 'कानून व्यवस्था पर दबाव और असर' पड़ रहा है।