जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादी यासिन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामे में सनसनीखेज दावा किया है। इससे देशभर में सियासी उबाल देखा जा रहा है। यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
By: Arvind Mishra
Sep 19, 20251:09 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादी यासिन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामे में सनसनीखेज दावा किया है। इससे देशभर में सियासी उबाल देखा जा रहा है। आतंकी मलिक ने दायर हलफनामे में कहा कि 2006 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 26/11 हमले के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद से मुलाकात के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने उसे व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद दिया था और उसकी सराहना भी की थी। यासीन मलिक टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। दरअसल, 25 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल लफनामे में, मलिक ने दावा किया कि 2006 में हुई यह मुलाकात उसकी स्वतंत्र पहल नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के साथ गुप्त शांति प्रक्रिया के तहत सीनियर भारतीय खुफिया अधिकारियों के गुजारिश पर हुई थी।
यासीन मलिक के मुताबिक, 2005 में कश्मीर में आए विनाशकारी भूकंप के बाद उसकी पाकिस्तान यात्रा से पहले, खुफिया ब्यूरो (आईबी) के तत्कालीन विशेष निदेशक वीके जोशी ने दिल्ली में उससे मुलाकात की थी। जोशी ने मलिक से गुजारिश किया था कि इस मौके का उपयोग न केवल पाकिस्तानी राजनीतिक नेतृत्व के साथ, बल्कि सईद सहित आतंकवादी हस्तियों के साथ भी बातचीत करके तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शांति प्रयासों का समर्थन करें।
मलिक ने दावा किया है कि मुझे साफ तौर से बताया गया था कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तब तक सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि आतंकवादी नेताओं को भी बातचीत में शामिल न किया जाए। उसने कहा कि गुजारिश पर अमल करते हुए, मैंने पाकिस्तान में एक समारोह में सईद और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के अन्य नेताओं से मिलने की सहमति जताई।
आतंकी मलिक ने हलफनामे में बताया कि कैसे हाफिज सईद ने जिहादी समूहों का एक सम्मेलन आयोजित किया, जहां सईद ने एक भाषण दिया और आतंकवादियों से शांति की गुजारिश की। इस्लामी शिक्षाओं का हवाला देते हुए, उसने कहा कि हिंसा के बजाय सुलह पर जोर दिया जाए और इस बात पर जोर दिया। अगर कोई आपको शांति की पेशकश करता है, तो उससे शांति खरीद लीजिए।
हालांकि, यह मुलाकात वर्षों बाद विवाद का विषय बन गई, क्योंकि इसे मलिक की पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों से नजदीकी के सबूत के तौर पर पेश किया गया। मलिक ने अपने हलफनामे में इस घटनाक्रम को एक विश्वासघात बताया और जोर देकर कहा कि यह एक आधिकारिक तौर पर स्वीकृत पहल थी, जिसे बाद में राजनीतिक मकसदों के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
भाजपा आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पोस्ट में यासीन मलिक के द्वारा दाखिल किया गया एफिडेविट भी शामिल किया है। पोस्ट में उन्होंने लिखा-टेरर-फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादी यासीन मलिक ने चौंकाने वाला दावा किया है।