मौलाना महमूद मदनी अपने बयानों को लेकर लगातार सुर्खियों में हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी ने एक साक्षात्कार के दौरान जिहाद और देश की राजनीति से जुड़े मसलों पर विस्तार से बात की है।
By: Arvind Mishra
Dec 03, 202510:27 AM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
मौलाना महमूद मदनी अपने बयानों को लेकर लगातार सुर्खियों में हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी ने एक साक्षात्कार के दौरान जिहाद और देश की राजनीति से जुड़े मसलों पर विस्तार से बात की है। मौलाना ने कांग्रेस के जनाधार पर सवाल उठाते हुए जिहाद, देश की सियासत, स्कूलों के पाठ्यक्रम जैसे ज्वलंत मुद्दों पर कहा-देशभर के स्कूलों के पाठ्यक्रम में जिहाद को पढ़ाया जाना चाहिए। यही नहीं मदनी ने कहा-जो लोग जिहाद का विरोध कर रहे हैं वे गद्दार हैं और आतंकवाद फैलाने का काम कर रहे हैं। वंदे मातरम को लेकर अपनी टिप्पणियों के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा-अभी जबरदस्ती करवाई जा रही है। जगह-जगह कहा जा रहा है कि इसे बोलें ही बोलें। ...ये तो आइडिया आफ इंडिया नहीं है।
मुसलमान जिहादी और फसादी...
मौलाना ने कहा-जिहाद शब्द को इस्लाम से जोड़कर बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से गालियां दी जाती थी। यह सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा। अब सरकारी स्तर पर मुसलमानों को गाली दी जा रही है। यह मान लिया गया है कि सभी मुसलमान जिहादी और फसादी हैं। ऐसे में यह मेरी जिम्मेदारी बन गई है कि मैं जिहाद के असली अर्थ समझाऊं।
नहीं बताऊंगा, तो नाइंसाफी
मौलाना ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में कहा- आप मुझ पर यह कहने का आरोप लगा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट गलत है। मैं केवल कोई व्यक्ति नहीं हूं। मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ा हूं जो एक खास समुदाय से जुड़ा है। अगर मैं अपने समुदाय की भावनाओं को देश को नहीं बताऊंगा, तो ऐसा करना नाइंसाफी होगी।
देश के हालात पर चेतावनी...
मौलाना ने कहा-संविधान की अवधारणा बहुसंख्यकवाद के खिलाफ है। आज हमें एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया गया है जहां हमें लगता है कि हमें हाशिये पर धकेला जा रहा है। मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि आप मुझसे असहमत हो सकते हैं, लेकिन अगर मैं कुछ कहना चाहूं, तो नहीं कह सकता। देश के हालात को देखते हुए मैं चेतावनी देना चाहता हूं।
लड़ना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी
मौलाना मदनी ने कहा- मैंने जो कुछ भी कहा है उसका आतंकवाद और हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। हम राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर एकजुट हैं। जब हम इन मुद्दों पर सहमत होते हैं, तो उनके लिए लड़ना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। मदनी ने सवाल किया, अगर कोई आतंकवादी इसे जिहाद कहता है, तो क्या हमें सहमत होना चाहिए कि यह जिहाद है और आतंकवादी को फायदा पहुंचाना चाहिए? या हमें उससे असहमत होना चाहिए और उसकी मान्यताओं पर चोट करनी चाहिए।