तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा इन दिनों सुर्खियों में हैं। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 90वां जन्मदिन मनाते हुए दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी पर बड़ा एलान कर दिया, जिसके बाद चीन की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक था।
By: Arvind Mishra
Jul 07, 2025just now
तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा इन दिनों सुर्खियों में हैं। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 90वां जन्मदिन मनाते हुए दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी पर बड़ा एलान कर दिया, जिसके बाद चीन की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक था। वहीं, अब दलाई लामा को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की तैयारी हो रही है। एक खास बातचीत में फोरम के पूर्व संयोजक और राज्यसभा सांसद सुजित कुमार ने कहा कि समूह दलाई लामा के लिए भारत रत्न की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न की मांग कर रहे मेमोरेंडम पर 80 से ज्यादा सांसदों से हस्ताक्षर मिल गए हैं और जैसे ही 100 सांसदों के दस्तखत मिल जाएंगे, तो इसे जमा कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने में चीन की कोई भूमिका नहीं है।
साथ ही फोरम ने संसद समेत कई मंचों पर तिब्बत से जुड़े मुद्दे उठाने का फैसला किया है। खास बात है कि इस फोरम के 6 सांसद दिसंबर 2021 में हुई निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में शामिल हुए थे। चर्चा यह भी है कि तब चीनी दूतावास ने सांसदों को पत्र लिखा था, जिसमें तिब्बती ताकतों को समर्थन देने से बचने की बात कही गई थी।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और किरेन रिजिजू रविवार को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन समारोह में शामिल हुए। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और राज्य से बीजेपी सांसद गाओ भी समारोह में मौजूद थे। रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा भारत के सबसे सम्मानित अतिथि हैं और हम उनके यहां हमारे देश में होने से धन्य महसूस करते हैं। दलाई लामा खुद को भारत का पुत्र कहते हैं और प्राचीन भारतीय ज्ञान के सबसे बड़े राजदूत हैं। इसका मतलब है कि दलाई लामा भारत को अपना घर मानते हैं और भारतीय संस्कृति को पूरी दुनिया में फैला रहे हैं।
इधर, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने रीजीजू की टिप्पणियों को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए यहां प्रेस वार्ता में कहा कि भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए। चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए। चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास को प्रभावित करने वाले मुद्दों से बचना चाहिए। माओ ने चीन के इस रुख को दोहराया कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरु पंचेन लामा के उत्तराधिकारी के लिए घरेलू प्रक्रिया, स्वर्ण कलश से निकाले गए भाग्य पत्र और केंद्र सरकार की मंजूरी के अनुरूप कठोर धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार होना चाहिए।