इस्राइल में मंगलवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जहां लोगों ने गाजा में बंधकों की रिहाई और युद्धविराम की मांग की। यह विरोध गाजा के अस्पताल पर हुए घातक हमले के बाद तेज हुआ, जिसमें 20 लोगों की मौत हुई थी। वहीं मंगलवार को इस्राइली हमलों में 16 फलस्तीनियों की मौत हुई। बंधकों के परिवार सरकार पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन नेतन्याहू की सरकार पर राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है।
By: Sandeep malviya
Aug 26, 20251 hour ago
यरूशलेम। इस्राइल में गुस्सा और आक्रोश चरम पर है। मंगलवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, सड़कों पर जाम लगाया और सरकार से गाजा में फंसे बंधकों की रिहाई के लिए तुरंत युद्धविराम करने की मांग की। प्रदर्शन ऐसे समय में हुए जब गाजा में इस्राइली हमलों ने 16 फलस्तीनियों की जान ले ली। वहीं, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सुरक्षा कैबिनेट की बैठक बुलाई, लेकिन यह साफ नहीं है कि वह युद्धविराम पर चर्चा करेंगे या नहीं।
यह विरोध प्रदर्शन गाजा के मुख्य अस्पताल पर हुए घातक हमलों के अगले दिन हुआ, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें डॉक्टर, पत्रकार और मरीज शामिल थे। मृतकों में मशहूर पत्रकार मरियम डग्गा भी थीं, जिन्होंने कुछ दिन पहले भूख से तड़पते बच्चों पर रिपोर्टिंग की थी। यह हमला पूरी दुनिया में आलोचना का कारण बना और प्रेस स्वतंत्रता संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। हालांकि नेतन्याहू ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसा बताते हुए जांच का भरोसा दिलाया।
बंधकों की रिहाई पर परिवारों का दबाव
सात अक्तूबर 2023 को हमास ने 251 लोगों को बंधक बनाया था। इनमें से ज्यादातर को युद्धविराम के दौरान रिहा किया गया, लेकिन अभी भी 50 बंधक गाजा में हैं। इस्राइल का दावा है कि इनमें से 20 जीवित हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार अगर बातचीत की मेज पर लौटे तो एक सौदा संभव है। बंधक परिवारों ने कहा कि नेतन्याहू अपने शासन को बचाने के लिए नागरिकों की बलि दे रहे हैं और युद्ध खींच रहे हैं।
गाजा में लगातार हमले और मौतें
गाजा के नासेर अस्पताल, शिफा अस्पताल और शेख रदवान क्लिनिक ने पुष्टि की कि मंगलवार को हुए हमलों में 16 फलस्तीनियों की मौत हुई। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जून से अब तक भूख और कुपोषण से 186 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 117 बच्चे शामिल हैं। मंत्रालय का कहना है कि अब तक 62,819 लोग युद्ध में मारे जा चुके हैं, जिनमें लगभग आधे महिलाएं और बच्चे हैं।
नेतन्याहू पर दबाव और राजनीतिक संकट
प्रदर्शनकारियों का मानना है कि नेतन्याहू को बातचीत शुरू करनी चाहिए। वे लगातार सुरक्षा कैबिनेट पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन नेतन्याहू की सरकार के दक्षिणपंथी सहयोगी युद्धविराम का विरोध कर रहे हैं और समझौते की स्थिति में गठबंधन तोड़ने की धमकी दे रहे हैं। हालात बताते हैं कि इस्राइल राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध की दोहरी चुनौती से जूझ रहा है। वहीं फलस्तीन की जनता लगातार विस्थापन, भुखमरी और हमलों का शिकार हो रही है।