भारत ने मलेरिया के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। देश की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन अब तैयार हो गई है। इस वैक्सीन को आईसीएमआर ने विकसित किया है। अब इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक प्राइवेट कंपनी के साथ साझेदारी की जाएगी।
By: Arvind Mishra
Jul 19, 20253 hours ago
भारत ने मलेरिया के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। देश की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन अब तैयार हो गई है। इस वैक्सीन को आईसीएमआर ने विकसित किया है। अब इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक प्राइवेट कंपनी के साथ साझेदारी की जाएगी। यह वैक्सीन आने वाले समय में लाखों लोगों की जान बचाने में मददगार साबित होगी। खासकर उन इलाकों में जहां मलेरिया अब भी एक बड़ी समस्या है। दरअसल, अब भारत में डेंगू से पहले मलेरिया का खात्मा होगा। भारतीय वैज्ञानिकों ने मलेरिया रोग के खिलाफ पहला स्वदेशी टीका तैयार कर लिया है जो न केवल संक्रमण बल्कि उसके समुदाय में प्रसार पर भी रोक लगाने में सक्षम है। इस टीके के जल्द से जल्द उत्पादन के लिए नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने प्राइवेट कंपनियों के साथ समझौता करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आईसीएमआर ने जानकारी दी है कि मलेरिया टीका की खोज पूरी कर ली है। इसे फिलहाल एडफाल्सीवैक्स नाम दिया है, जो मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार पाया गया है। आईसीएमआर और भुवनेश्वर स्थित आरएमआरसी के शोधकर्ताओं ने मिलकर यह स्वदेशी टीका तैयार किया है।
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि मौजूदा समय में मलेरिया के दो टीके उपलब्ध हैं जिनकी कीमत करीब 800 रुपए तक प्रति खुराक है। हालांकि इनका असर 33 से 67 फीसदी के बीच है। इसके अलावा आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भी मंजूर आरटीएस और आर21/मैट्रिक्स-एम टीका दुनिया के कुछ देशों में दिया जा रहा है। इनकी तुलना में भारत का यह टीका पूर्व रक्ताणु यानी रक्त में पहुंचने से पहले के चरण और ट्रांसमिशन-ब्लॉकिंग यानी संक्रमण प्रसार को रोकने में दोहरा असर दिखाती है।
अभी तक मलेरिया के इस स्वदेशी टीका पर पूर्व-नैदानिक सत्यापन हुआ है जिसे आईसीएमआर के नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) के साथ मिलकर पूरा किया है। आरएमआरसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील सिंह ने बताया कि भारत का यह स्वदेशी टीका संक्रमण को रोकने वाले मजबूत एंटीबॉडी बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि 2023 में वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 26 करोड़ अनुमानित मामले दर्ज हुए जो 2022 की तुलना में एक करोड़ मामलों की वृद्धि है।
मध्य प्रदेश: यहां के कुछ जिलों में मलेरिया के मामले अधिक हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, मलेरिया के मामले अधिक पाए जाते हैं।
छत्तीसगढ़: यह राज्य देश में मलेरिया के मामलों में शीर्ष पर है। यहां की घनी वनस्पति और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित होने के कारण मलेरिया का प्रकोप अधिक है।
ओडिशा: ओडिशा में भी मलेरिया के मामलों की संख्या अधिक है, विशेषकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में। राज्य सरकार ने मलेरिया मुक्त अभियान चलाया है, लेकिन चुनौतियां बनी हुई हैं।
झारखंड: झारखंड के दूरदराज के इलाकों में मलेरिया के मामले अधिक हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच और जागरूकता की कमी इसके प्रमुख कारण हैं।
गुजरात: गुजरात के कुछ हिस्सों में भी मलेरिया के मामले सामने आए हैं, हालांकि राज्य सरकार ने इसके नियंत्रण के लिए प्रयास किए हैं।