वंदे मातरम की रचना में राष्ट्र के प्रति समर्पण का जो भाव है, उसका आने वाले भारत की रचना में योगदान, इन सभी चीजों से हमारी आने वाली पीढ़ियां भी युक्त हों। इसलिए मैं सभी का अभिनंदन करता हूं कि आज यह चर्चा सदन में हो रही है।
By: Arvind Mishra
Dec 09, 20252:10 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा हुई। इसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। शाह ने कहा- ये महान सदन वंदे मातरम के भाव के लिए, यशोगान के लिए और वंदे मातरम को चिरंजीव बनाने के लिए चर्चा करे और इस चर्चा के माध्यम से हमारे देश के बच्चे, किशोर, युवा आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम के आजादी के लिए योगदान को याद करें। वंदे मातरम की रचना में राष्ट्र के प्रति समर्पण का जो भाव है, उसका आने वाले भारत की रचना में योगदान, इन सभी चीजों से हमारी आने वाली पीढ़ियां भी युक्त हों। इसलिए मैं सभी का अभिनंदन करता हूं कि आज यह चर्चा सदन में हो रही है। शाह ने कहा- गुलामी के कालखंड में वंदे मातरम गीत ने घनघोर अंधेरे के बीच लोगों के मन में आजादी के खिलाफ लड़ने का जोश जगाया। जब वंदे मातरम 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया। जब 150 साल पर कल सदन में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के दोनों सदस्य (राहुल-प्रियंका) नदारद थे। वंदे मातरम का विरोध नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस नेतृत्व के खून में है। कांग्रेस पार्टी की एक नेत्री ने लोकसभा में कहा-वंदे मातरम पर अभी चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। वंदे मातरम का टुकड़ा कांग्रेस ने किया
शाह ने कहा-जिस गान को गांधी ने राष्ट्र की शुद्धतम आत्मा से जुड़ा गीत कहा, वो वंदे मातरम का टुकड़ा करने का काम कांग्रेस ने किया। वंदे मातरम ने आजादी के आंदोलन को गति दी। श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीखाजी कामा और वीर सावरकर ने भारत का त्रिवर्ण ध्वज निर्मित किया था, उस पर भी स्वर्णिम अक्षर में एक ही नाम लिखा था- वंदे मातरम। भाजपा का एक भी सदस्य वंदे मातरम गान के समय सम्मान के साथ कड़ा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।
कांग्रेस के सांसद चले गए बाहर
कांग्रेस के जिस जिस सांसद ने वंदे मातरम नहीं गाने पर बयान दिया। सदन से बाहर चले गए, मैं इसकी लिस्ट आज शाम तक सदन के पटल पर रख दूंगा। इस सदन के चर्चा के रिकॉर्ड में रहना चाहिए कि कांग्रेस के सांसद वंदे मातरम का विरोध करते हैं। बंकिम चंद्र की 130वीं जयंती पर हमारी सरकार ने एक स्टांप जारी किया। आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर हर घर तिरंगा अभियान भी हमने शुरू किया। और आह्वान किया था तिरंगा फहराते वक्त वंदे मातरम का कहना भूलना नहीं है।
जवान प्राण त्यागता है तो बोलता है वंदे मातरम
गृहमंत्री ने कहा- सही है कि वंदे मातरम के रचनाकार बंकिम बाबू बंगाल में पैदा हुए, बंगाल में गीत की रचना हुई। आनंदमठ में समाहित हुआ, उसका बैकग्राउंड भी बंगाल था, लेकिन यह सिर्फ बंगाल तक या देश तक सीमित नहीं रहा। दुनिया भर में जहां तक आजादी के दीवाने थे, उन्होंने इसका गुणगान किया। जब सरहद पर एक जवान अपने प्राण त्यागता है, तो उसकी जुबान पर वंदे मातरम होता है।
हम मुद्दों पर चर्चा से नहीं डरते
मैं कल देख रहा था कि कांग्रेस के कई सदस्य आज वंदे मातरम की चर्चा क्यों जरूरी है और इसको एक राजनीतिक हथकंडा बता रही थीं। मुद्दों पर चर्चा करने से कोई नहीं डरता, संसद का बहिष्कार हम नहीं करते। संसद चलने दें तो हर मुद्दे पर चर्चा होगी। हम किसी से नहीं डरते और कुछ नहीं छिपाते। संसद चलने दें तो हर मुद्दे पर चर्चा होगी। लेकिन वंदे मातरम पर चर्चा टालने की यह कोशिश ठीक नहीं।