मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्कूली छात्राओं को लेकर भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इससे परिजनों की चिंता बढ़ गई है। दरअसल, एम्स द्वारा एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। जहां भोपाल की कक्षा 8वीं से 12वीं तक की 22 फीसदी छात्राओं में आंखों से जुड़ी विभिन्न बीमारियां होना पाया गया है।
By: Arvind Mishra
Sep 23, 2025just now
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्कूली छात्राओं को लेकर भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इससे परिजनों की चिंता बढ़ गई है। दरअसल, एम्स द्वारा एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। जहां भोपाल की कक्षा 8वीं से 12वीं तक की 22 फीसदी छात्राओं में आंखों से जुड़ी विभिन्न बीमारियां होना पाया गया है। जिसमें 17 छात्राओं में रिफ्रेक्टिव एरर पाया गया, जिसमें मायोपिया (निकट दृष्टि दोष), हाइपरमेट्रोपिया (दूर दृष्टि दोष) और एस्टिग्मेटिज्म (अनियमित दृष्टि) शामिल हैं। एम्स ने स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान के अंतर्गत शासकीय आदर्श आवासीय कन्या संस्कृत विद्यालय, गार्गी, भोपाल में नेत्र स्वास्थ्य एवं जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। शिविर में 12 से 18 वर्ष की 100 छात्राओं की जांच की गई, जिसमें 18 प्रतिशत छात्राओं में आंखों की समस्याएं पाई गईं।
शिविर के दौरान केवल स्क्रीनिंग ही नहीं हुई, बल्कि जागरूकता भी फैलाई गई। 34 छात्राओं ने नेत्र दान फॉर्म भी भरा। नेत्र स्वास्थ्य पर जूनियर रेजिडेंट डॉ. सौरभि ने मौजूद छात्राओं को जानकारी दी। उनके साथ सीनियर नर्सिंग आॅफिसर महेश मीणा ने आंख दान पर व्याख्यान दिया।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस: दो छात्राओं में एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस पाया गया, जो आंखों की एलर्जी के कारण होता है।
एब्लियोपिया: दो छात्राओं में एब्लियोपिया पाया गया, जो एक आंख की दृष्टि कमजोर होने के कारण होता है।
नाइट ब्लाइंडनेस: एक छात्रा में नाइट ब्लाइंडनेस पाया गया, जो विटामिन ए की कमी के कारण होता है।
स्क्रीन टाइम: बढ़ता स्क्रीन टाइम और डिजिटल डिवाइसों का उपयोग आंखों की समस्याओं का एक मुख्य कारण है।
अपर्याप्त प्रकाश: अपर्याप्त प्रकाश में पढ़ाई या काम करने से आंखों पर दबाव पड़ता है।
पोषण की कमी: विटामिन ए और अन्य पोषक तत्वों की कमी से आंखों की समस्याएं हो सकती हैं।
आनुवंशिक कारक: कुछ आंखों की समस्याएं आनुवंशिक हो सकती हैं।